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बासुकीनाथ शिवगंगा में सालों बाद दिखे पाताल महादेव, पूजा के लिए उमड़े श्रद्धालु, रोचक है इतिहास

बासुकीनाथ शिवगंगा कुंड में स्थित पाताल महादेव का सालों बाद दर्शन हुआ है. जिसके बाद पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार शनिवार को करीब 22 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने पाताल महादेव की विधिवत पूजा अर्चना की. बासुकीनाथ शिवगंगा कुंड का इतिहास काफी पुराना और रोचक है.

बासुकीनाथ, दुमका. ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा तिथि पर बासुकीनाथ शिवगंगा कुंड में स्थित पाताल महादेव का दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार शनिवार को करीब 22 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने पाताल महादेव की विधिवत पूजा अर्चना की.

पंडितों ने षोडशोपचार विधि से कराई पूजा

मंदिर के पंडितों ने षोडशोपचार विधि से पाताल महादेव का पूजन कराया. लंबी प्रतीक्षा के बाद भक्तों को पाताल महादेव के दर्शन होने से श्रद्धालु उत्साहित हैं. सुदूर देहाती क्षेत्र से भी भक्तों का यहां पहुंचने का सिलसिला चल रहा है. लोगों की श्रद्धा और भक्ति शिवगंगा में अद्भुत है. सुरक्षा बलों की उपस्थिति में भक्तों ने शिवगंगा कुंड में सुगमतापूर्वक महादेव की पूजा की. सुरक्षा बलों ने श्रद्धालुओं को शिवगंगा कुंड में उतरने के दौरान सहयोग किया. पंडितों ने विधिवत पूजा अर्चना कराया.

भक्तों ने क्या कहा

भक्तों ने कहा शिवगंगा में पानी भर जाने के बाद न जाने कब फिर पाताल महादेव की पूजा और शिवगंगा में संकीर्तन करने का सौभाग्य मिलेगा. पाताल महादेव के पुजारी द्वारा स्वयंभू शिवलिंग की विधि विधान से पूजा की गई. वहीं बाबा फौजदारीनाथ दरबार में भी भक्तों की भीड़ लगी रही.

श्रद्धालुओं ने लगाए भोलेनाथ के जयकारे

भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण में अनेक धार्मिक अनुष्ठान कराये गये. भगवान भोलेनाथ को फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ना, फूल माला चढ़ाने के बाद मत्था टेका और कृपा मांगी. पूजा अर्चना और आरती के क्रम में घड़ी-घंटा, डमरू के आवाज से शिवगंगा क्षेत्र गुंजायमान रहा. इस दौरान श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ के जयकारे भी लगाए. इन सबसे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है.

क्या है बासुकीनाथ शिवगंगा के कुंड का इतिहास

बता दें कि बासुकीनाथ शिवगंगा की तलहटी में जो कुंड स्थित है, यह काफी प्राचीन है. इस कुंड में स्वयंभू पाताल महादेव का शिवलिंग अवस्थित है. कहा जाता है कि आज से लगभग 300 वर्ष पहले जब शिवगंगा सरोवर का यहां अस्तित्व नहीं था, यहां स्थित कुंड में स्वयंभू शिवलिंग भी था, जिसे लोग पताल बाबा के नाम से जानते हैं. शिवगंगा की सफाई के दौरान पाताल महादेव का वर्षों बाद भक्तों को दर्शन हुए. शिवगंगा में पानी भरने के पूर्व जो पूजा होती है, उसमें बिल्वपत्र, पुष्प, अबीर गुलाल बाबा पर अर्पित किया जाता है. उसके बाद शिवगंगा को पानी से भर दिया जाता है. वर्षों बाद शिवगंगा की सफाई होती है. मान्यता है कि पानी निकाल कर कीचड़ को जब हटाया जाता है, तो वर्षों बाद भी पूजन सामग्री यथावत रहती है, वह ना ही सड़ता गलता है और ना ही नष्ट होता है. एक नजर में ऐसा लगता है मानो आज ही बाबा की श्रृंगार पूजा हुई हो.

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