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पार्टी नहीं समाज की फिक्र करें आदिवासी विधायक: सालखन

दुमका : राज्य के आदिवासी विधायक पार्टी, पेट और परिवार की चिंता छोड़ आदिवासी समाज की फिक्र करें, क्योंकि आदिवासी होने के नाते ही वे आरक्षित सीट से विधायक चुनकर भेजे गये हैं. जब आदिवासी समाज बचेगा, तभी उनकी भी पहचान बचेगी. उक्त बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के तहत दुमका के एसपी कॉलेज में आयोजित […]

दुमका : राज्य के आदिवासी विधायक पार्टी, पेट और परिवार की चिंता छोड़ आदिवासी समाज की फिक्र करें, क्योंकि आदिवासी होने के नाते ही वे आरक्षित सीट से विधायक चुनकर भेजे गये हैं. जब आदिवासी समाज बचेगा, तभी उनकी भी पहचान बचेगी. उक्त बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के तहत दुमका के एसपी कॉलेज में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कही.

पार्टी नहीं समाज की…
उन्होंने कहा कि ऐसे अादिवासी विधायकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये सीटें पार्टियों के लिए नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है. ऐसे विधायकों ने आदिवासी समाज के साथ बड़ा धोखा किया है. चाहें वे सत्तापक्ष से हों या विपक्ष से, एसपीटी-सीएनटी में गलत संशोधन व गलत डोमिसाइल नीति को फरवरी तक ठीक करें, वरना सामूहिक इस्तीफा देकर पश्चाताप के रुप में निरंकुश झारखंड सरकार को गिरा दें.
उन्होंने कहा कि मणिपुर में जिस तरीके से जनता ने अपनी मांगों को लेकर 2001 में 2 महीने का वक्त दिया था, पर मांग पूरा नहीं होने पर अपना गुस्सा उन तमाम जनप्रतिनिधियों पर उतारा था, जो पक्ष-विपक्ष दोनो के थे. विधानसभा को फूंक दिया था. विधायक-मंत्री के आवासों पर भी अपना आक्रोश प्रकट किया था. श्री मुर्मू ने कहा कि वहां जिस तरह विधायक को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था, कहीं उसी तरह यहां के 28 आदिवासी विधायकों को भी जान बचाने के लिए भागना न पड़ जाय.
हमारा आंदोलन विरोध के लिए नहीं, समाधान के लिए
श्री मुर्मू ने कहा कि ऐसी नीतियों से हमारी जमीन, हमारी नौकरी, हमारा गांव, हमारी भाषा-संस्कृति का प्रतीक तीर-धनुष सबकुछ लूट जायेगा. आदिवासी सेंगेल अभियान का आंदोलन एसपीटी-सीएनटी एक्ट में संशोधन तथा स्थानीयता नीति का केवल विरोध करने भर का नही है. हम समाधान चाहते हैं और समाधान की बात भी कह रहे हैं. इसलिए राजनीतिक मुद‍्दे के तौर पर इसे 2019 तक नहीं ले जाना चाहते. इसी मार्च महीनें में हम नयी सुबह-नया सबेरा लाना चाहते हैं. अपने तरीके से हम झारखंड सरकार पर निर्णायक हमला बोलेंगे.
असम, ओड़िसा, बंगाल और बिहार से भी पहुंचे लोग
आदिवासी सेंगेल अभियान की इस जनसभा के बावत असम, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, बिहार के अलावा झारखंड के विभिन्न जिलों तथा संताल परगना के विभिन्न कॉलेजों के आदिवासी छात्र-छात्रायें बड़ी संख्या में जुटे थे. सभा का संचालन सुमित्रा मुर्मू ने किया. मौके पर असम के संयोजक पांडु मुर्मू, बिहार के चांदु मुर्मू, पश्चिम बंगाल की पानमुनी बेसरा व ओड़िसा के नरेंद्र हेब्रम, बोकारो के हराधन मार्डी व विदेशी महतो, जमशेदपुर के सोनाराम सोरेन, सगनाथ हेंब्रम, छात्र नेता आलोक सोरेन, लोहरदगा के नील जस्टिन बैक, दुमका के पंकज हेंब्रम, छात्र नेता आंनद मुर्मू, आलोक सोरेन, राजेंद्र मुर्मू, फ्रांसिस टुडू आदि ने अपने-अपने विचारों को रखा.
अंदर के पेज पर खबर:
संतालों को मिले तीर-धनुष रखने की मान्यता
110 एवं 111
फरवरी तक एसपीटी-सीएनटी एक्ट में संशोधन का हो सुधार
जतायी आशंका, कहीं मणिपुर जैसा हादसा यहां के नेताओं के साथ न हो
कहा: समय रहते यहां के आदिवासियों के हित में नहीं उठाया कदम, तो यहां के आदिवासी विधायकों को भागने के लिए कर देंगे विवश

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