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सात दिन में खत्म हो गये असाध्य रोग के डेढ़ करोड़

नवंबर 17 से फरवरी 18 तक के दो सौ मरीज इंतजार में धनबाद : मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना (असाध्य रोग) के तहत धनबाद में सात दिनों में ही डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हो गये. यह राशि पिछले वर्ष 2017 के सितंबर व अक्तूबर में आवेदन करने वाले 105 लोगों को ही मिल पायी है. […]

नवंबर 17 से फरवरी 18 तक के दो सौ मरीज इंतजार में

धनबाद : मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना (असाध्य रोग) के तहत धनबाद में सात दिनों में ही डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हो गये. यह राशि पिछले वर्ष 2017 के सितंबर व अक्तूबर में आवेदन करने वाले 105 लोगों को ही मिल पायी है. 27 फरवरी 2018 को मुख्यालय की ओर से 1.5 करोड़ रुपये धनबाद को मिले, पांच मार्च को यह राशि खत्म हो गयी. जबकि नवंबर 2017 से लेकर फरवरी 2018 के लगभग दो सौ मरीज राशि के लिए इंतजार कर रहे हैं. धनबाद में किडनी, हार्ट, कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग भी सकते में हैं. योजना का लाभ लेने के लिए हर दिन पांच से छह आवेदन सिविल सर्जन कार्यालय में आ रहे हैं.
आठ माह में खर्च हुए सात करोड़ : असाध्य रोग के सात करोड़ रुपये आठ माह में खर्च हो गये हैं. मार्च से अगस्त 2017 में योजना के तहत सरकार ने 5.5 करोड़ रुपये दिये. अब 27 फरवरी 2018 को मिले 1.5 करोड़ भी खर्च हो गये. इस तरह से सात करोड़ रुपये खर्च हो गये. इसमें लगभग चार सौ मरीजों का इलाज हुआ. हालांकि जिस तरह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में धनबाद को तीन करोड़ रुपया और चाहिए.
सात दिनों में देनी थी राशि, चार माह
में भी नहीं मिल रही
योजना के तहत सरकारी घोषणा के अनुसार असाध्य रोग के मरीजों के लिए मेडिकल बोर्ड कर सात दिनों के अंदर राशि संबंधित अस्पताल को भेज देनी है. लेकिन धनबाद में सरकारी लेटलतीफी के कारण मरीजों को समय पर राशि नहीं मिल रही है. इस कारण समय पर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. राशि के लिए इंतजार में लगे ये दो सौ मरीज हर दिन कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं.
बिना राशि टाटा व सीएमसी वेल्लोर
नहीं कर रहे इलाज
फिलहाल कई मरीजों का स्वास्थ्य विभाग उधार इलाज करवा रहा है. राशि आने के बाद संबंधित अस्पताल को राशि मुहैया कराने की बात कही जा रही है. इस बाबत संबंधित अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग पत्र लिख कर दे रहा है. कई अस्पताल तो मान गये, लेकिन पदाधिकारियों की मानें तो सीएमसी वेल्लोर व टाटा मेहरबाई अस्पताल जमशेदपुर ने उधार इलाज से मना कर दिया है.

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