देवघर: जिले में मनरेगा का हाल कुछ ठीक नहीं है. आंकड़ों की बाजीगरी से प्रशासन भले ही देवघर जिले को अव्वल बता रहा है लेकिन धरातल के आंकड़े मनरेगा के उपलब्धि के दावों की पोल खोल रहे हैं.
देवघर डीडीसी ने जो आंकड़े उपलब्ध कराये हैं, उसके मुताबिक जिले के 3.17 लाख रजिस्टर्ड मजदूर को काम की जरूरत नहीं है. अब तक 1.11 लाख मजदूरों ने ही काम मांगा है. जिसमें से 1.05 लाख को काम मिला है. मस्टर रौल मात्र 85281 का ही भरा गया है. काम मांगने वाले 6139 मजदूरों को भी प्रशासन ने काम नहीं दिया. ऐसे में सभी जॉब कार्डधारी को काम देने का एक्ट मनरेगा की देवघर में क्या स्थिति है, देखा जा सकता है.
सभी रजिस्टर्ड मजदूरों को नहीं मिला जॉब कार्ड
मनरेगा के तहत देवघर जिले में लगभग 4.22 लाख मजदूर रजिस्टर्ड हैं. जिसमें से मात्र 1.79 लाख मजदूरों को ही प्रशासन जॉब कार्ड दे पाया है. जिले में अभी भी लगभग 2.43 लाख मजदूरों को जॉब कार्ड नहीं मिला है. यानी इतने मजदूर जॉब कार्ड नहीं होने की वजह से काम नहीं मांग पाते हैं. यदि शतप्रतिशत मजदूरों को जॉब कार्ड मिला रहता तो काम मांगने वाले मजदूरों की संख्या और बढ़ती. लेकिन बड़ी संख्या में देवघर के रजिस्टर्ड मजदूर जॉबकार्ड के अभाव में बेरोजगार हैं. उन्हें मनरेगा जैसी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. यदि प्रशासनिक आंकड़े सही हैं तो सभी मजदूरों को जॉब कार्ड मिलना चाहिए, यदि नहीं तो इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों के निबंधन का क्या औचित्य है.