फोटो- बेटिया का फोटो फाईलसारठ. बेटियों की शिक्षा से लेकर उनके ब्याह तक माता-पिता को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने लक्ष्मी लाडली योजना की शुरुआत की थी. यह राज्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना थी. लेकिन उदासीनता के कारण विभाग लक्ष्य से कोसों दूर है. 2014-15 के लिए सारठ बाल विकास परियोजना को 450 बेटियों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन दिसंबर तक विभाग मात्र 186 बेटियों को ही इस योजना से जोड़ सकी है. जिससे बेटियां इस योजना से वंचित हैं.इनपर है जिम्मेदारीलक्ष्मी लाडली योजना के तहत बेटियों को इसका लाभ दिलाने की जिम्मेदारी सेविका व सहायिका पर निर्भर है. लेकिन उदासीनता के अभाव में बेटियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. बाल विकास योजना के तहत सेविका को सर्वप्रथम लाभुक से संपर्क कर जन्म प्रमाण पत्र,आय, आवासीय, जाति व बंध्याकरण प्रमाण पत्र के साथ आवेदन फॉर्म लेने हैं, प्रमाण पत्र बनवाने में लाभुक महिलाओं को सहयोग भी करना है. लेकिन सेविका व पर्यवेक्षिका द्वारा इस योजना को गंभीरता से नहीं लेने के कारण बेटियां योजना से वंचित है. अब मार्च तक इस लक्ष्य को कैसे हासिल करेगी यह चुनौती है.क्या कहते हैं सीडीपीओ बीडीओ सह प्रभारी सीडीपीओ प्रमोद कुमार दास ने कहा कि अभी मार्च तक समय हैं, लक्ष्य को पुरा करने के लिए सभी सेविका एंव पर्यपवेक्षिका को निर्देश जारी किया गया हैं हर हाल मे लक्ष्य के अनुरूप उपलब्धी हासिल किया जायेगा ।
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000लक्ष्मी लाडली योजना लक्ष्य से विभाग काफी पीछे
फोटो- बेटिया का फोटो फाईलसारठ. बेटियों की शिक्षा से लेकर उनके ब्याह तक माता-पिता को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने लक्ष्मी लाडली योजना की शुरुआत की थी. यह राज्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना थी. लेकिन उदासीनता के कारण विभाग लक्ष्य से कोसों दूर है. 2014-15 के […]
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