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बिजली संकट पर हर बार पॉलिटिक्स, नतीजा शून्य

देवघर: झारखंड गठन के 14 वर्ष पूरा होने को है. देवघर सहित संताल परगना में निर्बाध बिजली आपूर्ति के नाम पर हर बार पॉलिटिक्स होता है. लेकिन इसका फायदा यहां के लोगों को नहीं मिलता. उलटे यहां वर्ष भर मेंटनेंस के नाम पर बिजली आपूर्ति में कटौती की जाती है. फरक्का-ललमटिया लाइन में 220 केबीए […]

देवघर: झारखंड गठन के 14 वर्ष पूरा होने को है. देवघर सहित संताल परगना में निर्बाध बिजली आपूर्ति के नाम पर हर बार पॉलिटिक्स होता है. लेकिन इसका फायदा यहां के लोगों को नहीं मिलता.

उलटे यहां वर्ष भर मेंटनेंस के नाम पर बिजली आपूर्ति में कटौती की जाती है. फरक्का-ललमटिया लाइन में 220 केबीए ब्रेक डाउन हुए एक पखवारा से अधिक का वक्त हो गया है. एनटीपीसी एवं डीवीसी से औसतन 25 से 30 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है. लेकिन, विभाग वैकल्पिक व्यवस्था के प्रति गंभीर नहीं है. गरमी का मौसम हो या बारिश का यहां बिजली आपूर्ति के नाम पर महज औपचारिकता पूरी की जाती है.

नतीजा बिजली के अभाव में यहां का उद्योग-धंधा, बाजार, चिकित्सा सेवा, घरेलू कामकाज प्रभावित है. चेंबर के पदाधिकारियों से लेकर छात्र संगठन एवं आमजनों ने विभागीय व्यवस्था का विरोध किया. विभागीय पदाधिकारी हर बार गुणवत्तापूर्ण एवं नियमित बिजली आपूर्ति का दावा करती रही है. लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकल पाया है.

देवघर को 100 मेगावाट बिजली की जरूरत

विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो सामान्य दिनों में सिर्फ देवघर में रेलवे सहित कुल 100 मेगावाट बिजली की मांग है. लेकिन, यहां औसतन 40 से 50 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है. वर्तमान में आपूर्ति और कम हो गयी है. मांग के अनुपात में बिजली आपूर्ति नहीं होने से उद्योग-धंधे व आवश्यक सेवाएं प्रभावित रहती है. बिजली के अभाव में लोगों के घरों में लगे नलों का टोटा भी सूखा रहता है.

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