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देवघर में नियम विरुद्ध डीसीओ ने खर्च कर दिये 29 लाख
देवघर : सहकारिता विभाग के देवघर कार्यालय से केंद्र सरकार की इंट्रीग्रेटेड को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (आइसीडीपी) का पैसा देवघर में नियमों के विरुद्ध खर्च कर दिये गये. देवघर के डीसीओ सुशील कुमार द्वारा कुल 29 लाख रुपये नियमों के विरुद्ध पैक्स अध्यक्षों को बांट दिये गये. इसका खुलासा सहकारिता विभाग के सहयोग समितियों के रजिस्ट्रार […]
देवघर : सहकारिता विभाग के देवघर कार्यालय से केंद्र सरकार की इंट्रीग्रेटेड को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (आइसीडीपी) का पैसा देवघर में नियमों के विरुद्ध खर्च कर दिये गये. देवघर के डीसीओ सुशील कुमार द्वारा कुल 29 लाख रुपये नियमों के विरुद्ध पैक्स अध्यक्षों को बांट दिये गये. इसका खुलासा सहकारिता विभाग के सहयोग समितियों के रजिस्ट्रार को भेजी गयी जांच रिपोर्ट से हुआ है.
आइसीडीपी के राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी द्वारा जांच का निर्देश दिये जाने के बाद झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के देवघर कार्यालय के विकास प्रबंधक अजीत प्रसाद राय द्वारा पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को भेजी गयी है. जांच रिपोर्ट के अनुसार आइसीडीपी, देवघर का परियोजना वर्ष 2005 से 2009 तक चालू था, आइसीपीडी परियोजना समाप्ति के उपरांत बची हुई राशि का खर्च राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी के आदेश के बाद ही करने का प्रावधान है, लेकिन डीसीओ द्वारा 19 मई 2014 को कई पैक्स अध्यक्षों को 29 लाख रुपये भुगतान कर दिये गये.
आइसीडीपी का यह पैसा 2005 से 2009 तक पैक्सों में गोदाम निर्माण व गोदाम के मेंटेनेंस के लिए देवघर सहकारिता विभाग को प्राप्त हुआ था. 2009 में योजना बंद होने के बाद आइसीडीपी का पैसा 29 लाख रुपये देवघर को-ऑपरेटिव बैंक में जमा था. 2014 में डीसीओ ने अनुश्रवण पदाधिकारी के बगैर अनुमति के ही पैक्स अध्यक्षों को देवघर को-ऑपरेटिव बैंक से पैसे का भुगतान कर दिया. डीसीओ के आदेश पर सारठ प्रखंड के पलमा, देवघर प्रखंड के गोपालपुर, सारवां के रक्ति व पालाोजोरी के बड़जोरी समेत सात पैक्स अध्यक्षों को नियम विरुद्ध पैसे का ट्रांसफर किया गया है.
डीएलसीसी से पारित होने पर खर्च हुई राशि : डीसीओ
देवघर डीसीओ सुशील कुमार ने कहा कि जांच रिपोर्ट पूरी तरह गलत है. यह जांच एकतरफा व पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की गयी है. आइसीडीपी का पैसा पैक्स अध्यक्षों को नियमों के तहत दिया गया है. राज्य अनुश्रवण पदाधिकारी के आदेश के बाद ही बिजनेस डेवलपमेंट प्रोजेक्ट तैयार कर इसकी स्वीकृति डीएलसीसी की बैठक में दिये जाने के उपरांत पैक्स अध्यक्षों को पैसे का भुगतान किया गया है.
डीएलसीसी की बैठक तत्कालीन उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई थी. इस परियोजना में पूरे मापदंड को अपनाया गया है. प्रबंधक विकास की जांच रिपोर्ट बेबुनियाद है. वैसे भुगतान तत्कालीन डीसीओ रामकुमार प्रसाद के कार्यकाल में भी हुआ है.
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