प्रतिनिधि, कुंदा
आदिम जनजाति गांवों को रोशन करने के सरकारी प्रयासों को संवेदक की मनमानी और विभाग की लापरवाही पलीता लगा रही है. कुंदा प्रखंड के सोहरलाठ गांव में प्रधानमंत्री आदिम जनजाति विकास योजना के तहत होम लाइट सोलर सिस्टम लगाया गया, लेकिन गांव के अधिकांश लाभुकों को अभी तक इसका पूरा लाभ नहीं मिल सका है. जानकारी के अनुसार डेढ़ माह पूर्व जेरेडा द्वारा गांव के 14 आदिम जनजाति परिवारों को सोलर सिस्टम उपलब्ध कराया गया था. इसमें सोलर पैनल, बैटरी, इन्वर्टर और पंखा शामिल था। लेकिन कई लाभुकों को बल्ब तक नहीं दिए गए हैं, जिससे वे अब भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. गांव की बिगनी बिरहोरिन ने बताया कि उनके घर में सोलर सिस्टम तो लगा है, लेकिन बल्ब नहीं मिला है. पंखा है, इन्वर्टर है, लेकिन बिना बल्ब के क्या रोशनी मिलेगी. उन्होंने दुःख व्यक्त किया. बुधन बिरहोर ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने मिस्त्री को पैसा दिया, उन्हें बल्ब मिला, जबकि जो नहीं दे सके, उन्हें आज तक बल्ब नहीं मिला. साथ ही सोलर पैनल लोहे की कमजोर पाइप पर लगाया गया है, जो हवा चलने पर हिलता रहता है और कभी भी गिर सकता है. सबसे गंभीर आरोप सुदीप बिरहोर ने लगाया. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने सिस्टम लगाने वाले मिस्त्री को पैसे नहीं दिए, तो उसने उनके घर से इंडियन गैस सिलिंडर उठाकर ले गया और कहा कि पैसे देने पर ही वापस करेगा.
ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
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