गुवा. पश्चिमी सिंहभूम जिले की गंगदा पंचायत के 14 गांवों में बीते पेयजल का गंभीर संकट है. वर्ष 2017-18 में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना और आसन्न जलापूर्ति योजना का काम शुरू हुआ. आठ साल बाद भी केवल चार गांवों के कुछ घरों तक जलापूर्ति हो पा रही है. वहीं, 10 गांवों में पाइपलाइन नहीं बिछ सकी है. आक्रोशित ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि 17 जून तक पेयजल समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो एनएच-33 स्थित सलाई चौक को सुबह 8 बजे से अनिश्चितकाल के लिए जाम करेंगे.
समिति के अध्यक्ष सह गंगदा पंचायत के मुखिया सुखराम उर्फ राजू सांडिल ने बताया कि वर्ष 2017-18 में पंचायत के 14 गांवों में पेयजल आपूर्ति का वादा किया गया था. सारंडा विकास समिति, जामकुंडिया-दुईया ने झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को पत्र लिखकर योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.2022 में हुए आंदोलन में आश्वासन मिला, लेकिन काम नहीं हुआ
ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत में चापाकल, डीप बोरिंग और सोलर जलमीनार की व्यवस्था नहीं है. गर्मी में हालत बदतर हो जाती है. लोगों को पेयजल के लिए कई किमी दूर जाना पड़ रहा है. राजू सांडिल ने बताया कि 14 मार्च, 2022 को सलाई चौक पर विरोध-प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान मनोहरपुर-चक्रधरपुर डिवीजन के कार्यपालक अभियंता ने दो चरणों में पाइपलाइन बिछाने का कार्य पूरा करने का वादा किया था. तीन साल बाद भी कार्य नहीं हुआ. अभियंता की ओर से साझा किया गया फोन नंबर पर कॉल रिसीव नहीं किया जाता है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्या करें ?योजना में भ्रष्टाचार का आरोप, उच्च स्तरीय जांच की मांग
बताया गया कि दोदारी पेयजल आपूर्ति योजना की अनुमानित लागत लगभग 15 करोड़ रुपये थी. आज तक योजना पूरी नहीं हो सकी. ग्रामीणों ने बताया कि योजना की पूरी राशि की निकासी कर ली गयी. सारंडा विकास समिति ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है