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Chaibasa News : अत्यधिक बारिश ने छींटा की खेती चौपट की, रोपा विधि से बढ़ीं किसानों की उम्मीदें

पश्चिमी सिंहभूम. खेतों में छींटे गये 66% धान बीज सड़ गये, रोपा विधि से 113% लक्ष्य पूरा

चाईबाासा . पश्चिमी सिंहभूम में इस बार अधिक बारिश की वजह से छींटा विधि से की गयी धान की 66.30% खेती प्रभावित हुई है. दरअसल किसानों द्वारा खेतों में छींटे गये धान के बीज अत्यधिक बारिश होने के कारण सड़ गए. हालांकि, रोपा विधि से की गयी खेती को फायदा हुआ है. पश्चिमी सिंहभूम जिले में कुल 1 लाख 86 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है. इसमें 9 हजार हेक्टेयर में छींटा विधि से खेती की जानी थी, लेकिन अत्यधिक बारिश होने के कारण ज्यादातर खेतों में छींटा धान नष्ट हो गया. वहीं रोपा विधि से 78,790 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन खेती हुई 89,628 हेक्टेयर में. ऐसे में 113.76% रोपा विधि से खेती की गयी है. चाईबासा में हाइब्रिड धान लगाने का लक्ष्य 3,700 हेक्टेयर खेतों में था, पर 4,194 हेक्टेयर में खेती हुई. वहीं खूंटपानी प्रखंड में रोपा विधि से 3,850 हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन 4,336 हेक्टेयर में खेती हुई. इसी तरह झींकपानी में 2,780 हेक्टेयर में रोपा विधि से खेती का लक्ष्य रखा गया था, पर खेती 3,117 हेक्टेयर में हुई. ऐसा पहली बार हुआ है कि जिले में छींटा विधि की तुलना में रोपा विधि से अधिक खेती हुई है. रोपा विधि से धान की खेती में मिली सफलता से विभाग के पदाधिकारियों में संतोष है, क्योंकि धान की खेती को अधिक नुकसान नहीं हुआ.- आम तौर पर जिले के अधिकतर किसान छींटा विधि से ही खेती करते हैं. इस बार औसत से अधिक बारिश होने के कारण खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी है. धान के सीजन की शुरुआत में किसानों ने खेतों में बीज छींटे थे, लेकिन अधिक बारिश से खेतों में पानी भर गया, जिसके कारण छींटे गये धान बीज या तो बह गये या सड़ गये. हालांकि, रोपा विधि से की गयी खेती पर बारिश का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है. इसलिए किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

-अमरजीत कुजूर

, जिला कृषि पदाधिकारी

धान पंजीकरण में अव्यवस्था से किसान परेशान, चंपुआ लैंपस पर फूटा आक्रोश

चंपुआ लैंपस में धान खरीद के लिए चल रहे नाम पंजीकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं के चलते किसान नाराज़गी जता रहे हैं. किसानों का आरोप है कि पंजीकरण की प्रक्रिया अव्यवस्थित है और उन्हें रोजाना घंटों तक कार्यालय के बाहर इंतजार कराया जा रहा है. चंपुआ लैंपस कार्यालय में चंपुआ, रजिया, जामुदलक, रिमुली, करंजिया और कंदरा लैंपस के किसानों का पंजीकरण किया जा रहा है. सैकड़ों किसान रोजाना लाइन में खड़े होकर नाम दर्ज कराने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सीमित संसाधनों और कर्मचारियों की कमी के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा है. इस वर्ष कुल 5781 किसानों ने नाम पंजीकरण के लिए आवेदन किया है, लेकिन कार्यालय में पंजीकरण प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है. किसानों का कहना है कि गर्मी और बारिश के बीच उन्हें अनावश्यक रूप से भटकाया जा रहा है.

खेती के समय कार्यालय का चक्कर काट रहे किसान

किसान रणजीत बेहरा ने शिकायत करते हुए कहा, “हम रोज़ लैंपस का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. पंजीकरण फेज़ वाइज या क्षेत्रवार होना चाहिए. वहीं किसान गोलू महापात्र ने कहा कि मैनपावर की भारी कमी है. अभी खेती का समय है, लेकिन हम रोज काम छोड़कर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. इस संदर्भ में चंपुआ सहकारिता रजिस्ट्रार मगन सेलेन ने कहा कि स्टाफ की कमी जरूर है, लेकिन हमारा लक्ष्य सभी किसानों का पंजीकरण करना है. हम इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि किसानों को अनावश्यक परेशानी न हो. आवश्यकतानुसार सुधार के उपाय किए जा रहे हैं.

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