चाईबासा.पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय के चाईबासा शहर में वैसे तो हर घर नल-जल याेजना के तहत रोरो नदी से जलापूर्ति की जा रही है. लेकिन फिर भी क्षेत्र में धड़ल्ले से लोग बोरिंग करा रहे हैं. जिससे संदेह जताया जा रहा है कि लोगों को इस योजना से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है.गर्मी शुरू होते ही बोरिंग करने वाली गाडियां शहर में घूमने लगी हैं और बोरिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है. नीमडीह मोहल्ले में धड़ल्ले से बोरिंग का काम जारी है. हालांकि, इसके लिए लोगों को शहर में नगर परिषद से अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नप से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. जानकारी के अनुसार, शहर के नीमडीह मोहल्ले में बोरिंग गाड़ी के जरिये निजी चापाकल लगाने का काम किया गया है. पूछने पर एक कर्मी ने बताया कि चापाकल लगाने के लिए संबंधित व्यक्ति ने नप से अनुमति ली है.————-
टुंगरी मोहल्ले में हो चुकी है सबसे ज्यादा बोरिंग
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से शहर के लगभग सभी घरों तथा ग्रामीण क्षेत्र में भी पेयजल आपूर्ति किये जाने का दावा किया जाता रहा है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि जब विभाग द्वारा जलापूर्ति की जा रही है, तो धरती को चीरने की नौबत क्यों आयी. स्थानीय लोगों की मानें, तो गर्मी के दिनों में शहर और इससे सटे गांवों में लोग निर्माण कार्य सहित पेयजल के लिए भी बोरिंग करवाते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, सड़क लेबल से ऊंचाई के बाद क्षेत्र में सप्लाई वाटर ठीक से नहीं पहुंच पाता है. यही वजह है कि लोग घर बनाने से पूर्व निजी स्तर पर चापाकल लगवा लेते हैं. यह समस्या ऊपर टुंगरी में सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि इक्का-दुक्का घरों को छोड़कर ऊपर टुंगरी मोहल्ले में प्राय: सभी घरों में चापाकल देखने को मिलते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है