Bokaro News : राकेश वर्मा, बेरमो. आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में बेरमो कोयला क्षेत्र के सीसीएल अंतर्गत बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया को मिलाकर लगभग 21 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य मिला है. बीएंडके एरिया को 11.8 मिलियन टन, ढोरी को 54.30 लाख टन व कथारा को 44 लाख टन कोयले का उत्पादन करना है. मालूम हो कि 2025-26 में पूरे सीसीएल का उत्पादन लक्ष्य 105 मिलियन टन तथा कोल इंडिया का उत्पादन लक्ष्य 863 मिलियन टन निर्धारित है. चालू वित्तीय वर्ष में बीएंडके का उत्पादन लक्ष्य 9 मिलियन टन, ढोरी का 54.80 लाख टन तथा कथारा एरिया का 44 लाख टन निर्धारित है. इसमें बीएंडके व कथारा एरिया अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य से पीछे चल रहा है. अगले वित्तीय वर्ष में कई माइंसों का विस्तारीकरण होने की उम्मीद है. इसके बाद उत्पादन में तेजी आने की संभावना जतायी जा रही है.
बीएंडके में दो स्थानों पर बन रहा है सीएचपी :
सीसीएल बीएंडके एरिया अंर्तगत कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट एकेके में 322 करोड़ की लागत से 5 मिलियन टन क्षमता का कोल हैडलिंग प्लांट (सीएचपी) का निर्माण कार्य चल रहा है. इसके अलावा इसी एरिया के कारो परियोजना में भी 410 करोड़ की लागत से 7 मिलियन टन क्षमता का सीएचपी का निर्माण कार्य जारी है. गत छह अक्तूबर 2024 को कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने एकेके व करगली में दोनों सीएचपी के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था.तीनों एरिया में आयेंगी नयी कोल वाशरियां :
कथारा एरिया अंतर्गत कथारा वाशरी के निकट सालाना तीन मिलियन टन क्षमता की नयी कोल वाशरी का निर्माण कार्य अगले वित्तीय वर्ष में शुरू होगा. इसके अलावा कथारा एरिया के स्वांग वाशरी के निकट 1.5 मिलियन टन क्षमता की नया वाशरी का निर्माण कार्य होने वाला है. वहीं ढोरी एरिया में तीन मिलियन टन क्षमता की एक नयी वाशरी का निर्माण होगा.अगले वित्तीय वर्ष में शिफ्टिंग समस्या के निराकरण की चुनौती :
अगले वित्तीय वर्ष में खासकर सीसीएल के बीएंडके एरिया में शिफ्टिंग समस्या का हर हाल में निराकरण करना होगा. प्रक्षेत्र अंतर्गत एकेके परियोजना के विस्तार के लिए हर हाल में बरवाबेड़ा गांव को 20 करोड़ की लागत से बने नये पुनर्वास स्थल केएसपी फेज दो परियोजना में शिफ्ट करना होगा. इसके अलावा कारो परियोजना के विस्तार के लिए कारो गांव के ग्रामीणों को सात करोड़ की लागत से बन रहा नया आरआर साइट करगली के निकट शिफ्ट करना होगा. बोकारो कोलियरी अंतर्गत डीडी माइंस विस्तारीकरण के लिए असंगठित मजदूरों की शिफ्टिंग जरूरी है. परियोजना के विस्तार के लिए 132 आवासों को हर हाल में हटाना होगा, जिनमें से 29 सीसीएल कर्मियों के आवास हैं, बाकी में अन्य लोग रह रहे हैं. अगर इन सबों की शिफ्टिंग नहीं हुई तो परियोजना में कामकाज पूर्ण रूप से ठप हो जाने की संभावना जतायी जा रही है. माइंस पंचायत सचिवालय के एकदम करीब पहुंच गयी है. मालूम हो कि चार नंबर क्षेत्र से लगभग 500 दिहाड़ी मजदूरों को पुराना एक्सकैवेशन के समीप शिफ्टिंग एरिया में पूर्व में बसाया गया है. सरकारी भवनों एवं बाकी बचे लगभग 300 आवासों को शिफ्ट कराया गया तो 5-6 वर्षों तक माइंस चलना संभव हो पायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है