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World Tribal Day: झारखंड के इस गांव में आज भी रात को लकड़ी जलाकर उजाला करते हैं लोग

आज भी झारखंड का एक गांव ऐसा है, जहां लोग रात में लकड़ी जलाकर उजाला करते हैं. एक ओर देश में अमृतकाल मानाया जा रहा है, तो दूसरी ओर इस गांव के लोग अभावों में जीने को मजबूर हैं.

भारत को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं. देश में आजादी का अमृतकाल मनाया जा रहा है, लेकिन आज भी झारखंड का एक गांव ऐसा है, जहां लोग आदिम युग की तरह लकड़ी जलाकर रात में उजाला करते हैं. बोकारो जिले के इस गांव में आज भी बिजली नहीं पहुंच पायी है. बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड की सियारी पंचायत के सुदूरवर्ती संताली बहुल गांव असनापानी के लोगों के घर आज भी बिजली नहीं पहुंची. इसी गांव से 10 किलोमीटर की दूरी पर तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) है. इस विद्युत परियोजना में बिजली का उत्पादन होता है और उससे पूरा झारखंड रोशन हो रहा है. लेकिन, असनापानी के ग्रामीण आज भी ढिबरी और लकड़ी की रोशनी में रातें काट रहे हैं. लकड़ी जलाकर रातों में उजाला करने के लिए मजबूर हैं.

India has completed 75 years of independence. The Azadi Ka Amritkaal is being celebrated in the country, but even today there is a village in Jharkhand where people live like primitive people. Especially at night. Even today electricity has not reached this village of Bokaro district. The name of this village is Asnapani, which is a remote Santali dominated village of Siyari Panchayat of Gomiya block of the district, where electricity did not reach the houses of the villagers. Tenughat Thermal Power Station (TTPS) is 10 kilometers away from this village. Electricity is produced in this power project and the whole of Jharkhand is being illuminated by it. But, the villagers of Asnapani are still spending the nights in the light of Dhibri. They are forced to light up the nights by burning wood.

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