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Bokaro News : कसमार में बारिश ने छीनी हाट-बाजारों की रौनक

Bokaro News : खरीद-बिक्री प्रभावित होने से नष्ट हो रहे कृषि उत्पाद, बढ़ रही आर्थिक तंगी, किसानों को सता रही चिंता.

कसमार, करीब डेढ़ महीने से लगातार हो रही बारिश ने कसमार प्रखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा प्रभावित किया है. इस क्षेत्र की अधिकांश ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थानीय हाट-बाजारों पर टिकी हुई है, जहां छोटे-बड़े कृषक और व्यवसायी अपने उत्पादों और सामान की बिक्री से जीविका चलाते हैं. प्रखंड के प्रमुख हाटों में खैराचातर में सप्ताह में तीन दिन (बुधवार, शनिवार व सोमवार), कसमार में दो दिन (सोमवार व शुक्रवार), दांतू में एक दिन (बुधवार), मधुकरपुर में दो दिन (गुरुवार व रविवार) और पिरगुल में एक दिन (रविवार) हाट लगते हैं. इन हाटों में आसपास के गांवों के कृषक अपने ताजे सब्जी, अनाज व अन्य कृषि उत्पाद लेकर आते हैं. वहीं, छोटे व्यवसायी राशन, स्टेशनरी, मांस-मछली, घरेलू सामान और अन्य वस्तुएं बेचकर अपनी जीविका चलाते हैं. लेकिन लगातार बारिश ने इन हाटों की रौनक को ही समाप्त कर दी है. हाटों में खरीद-बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसका सीधा असर किसानों और छोटे व्यवसायियों के परिवारों पर पड़ा है. बारिश के चलते मुख्यतः तीन तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती है. पहली यह कि बारिश होने पर कई कृषक अपने उत्पाद बेचने के लिए हाट तक नहीं पहुंच पाते, क्योंकि उन्हें दूर-दराज के गांवों से आना पड़ता है. दूसरी स्थिति यह है कि कई बार बाजार पहुंचने के बाद यदि बारिश होने की संभावना दिखाई देती है, तो किसान और व्यवसायी औने-पौने दामों पर अपने सामान बेचने या बिना बेचे घर लौट जाने को मजबूर होते हैं. तीसरी और सबसे गंभीर स्थिति यह है कि हाट लगने के बाद अचानक मूसलाधार बारिश हो जाने पर बाजार अस्त-व्यस्त हो जाता है और किसानों के उत्पाद नष्ट हो जाते हैं. कृषक और व्यवसायी बताते हैं कि उनके घर की अधिकांश जरूरतें हाट-बाजार से होने वाली आय पर निर्भर हैं. लेकिन लगातार बारिश के कारण पिछले डेढ़ महीने से उनकी आमदनी ठप है. इस वजह से घर की छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं. पैसों की तंगी बढ़ गयी है और परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है. कृषक जानकी महतो, भागवत महतो, विनोद महतो, उमेश कुमार, रघुनाथ महतो आदि ने कहा कि यदि यह स्थिति कुछ और दिनों तक बनी रही, तो उन्हें कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कृषि उत्पादों की बर्बादी और आर्थिक असुरक्षा ने ग्रामीण जीवन को प्रभावित कर दिया है. पिछले डेढ़ महीने के मौसम ने यह दिखाया है कि मौसम के अत्यधिक बदलाव और लगातार बारिश जैसी परिस्थितियों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा असर पड़ सकता है.

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