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Bamboo Cultivation : अंग्रेजों के जमाने में बांस की खेती के लिए फेमस था बोकारो का झुमरा पहाड़, अवैध कटाई ने छीनी हरियाली, अब ऐसे किया जा रहा बांसों का संरक्षण

Bamboo Cultivation, Bokaro News, ललपनिया (नागेश्वर) : बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के झुमरा पहाड़ क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बांस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी. अब ये लुप्त होने की कगार पर है. बांस की अवैध कटाई से भी जंगल उजड़ गये. बांस की खेती को पुनर्जीवित करने के लिए हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के द्वारा झुमरा पहाड़ के निकटवर्ती दडरा पहाड़ क्षेत्र में बांस संरक्षण को लेकर योजना का खाका तैयार किया गया है. इसके तहत लगभग सौ एकड़ में करीब दस हजार बांस के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. इससे न सिर्फ हरियाली लौटेगी, बल्कि रोजगार के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा.

Bamboo Cultivation, Bokaro News, ललपनिया (नागेश्वर) : बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के झुमरा पहाड़ क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बांस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी. अब ये लुप्त होने की कगार पर है. बांस की अवैध कटाई से भी जंगल उजड़ गये. बांस की खेती को पुनर्जीवित करने के लिए हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के द्वारा झुमरा पहाड़ के निकटवर्ती दडरा पहाड़ क्षेत्र में बांस संरक्षण को लेकर योजना का खाका तैयार किया गया है. इसके तहत लगभग सौ एकड़ में करीब दस हजार बांस के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. इससे न सिर्फ हरियाली लौटेगी, बल्कि रोजगार के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा.

आपको बता दें कि गोमिया प्रखंड अंतर्गत चतरोचटी वन वीट में झुमरा पहाड़ की तलहटी स्थित चुटे पंचायत के दडरा व अमण पहाड़ क्षेत्रों मे बांस लुप्त हो गया था. सिर्फ बांस की जड़ दिखाई पड़ती है. बांस की जड़ में मिट्टी भर आने से बांस की बढ़ोतरी नहीं हो पाने तथा लुप्त बांस के जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल द्वारा करीब सौ एकड़ भूमि में बांस सरंक्षण का कार्य पर बल दिया जा रहा है. इन क्षेत्रों में लगभग 10 हजार बांस को पुनर्जीवित करने का शुभारंभ कर दिया गया है.

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सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार झुमरा पहाड़ 45 किलोमीटर रेडियस में फैला है. ब्रिटिश काल में काफी मात्रा में बांस की खेती होती थी, जिसकी देखरेख डालमिया द्वारा की जाती थी पर धीरे-धीरे बांस की खेती बंद होती गयी. वन विभाग नीतिगत अध्यन कर बांस संरक्षण को धरातल पर उतार रहा है. इससे ग्रामीणों में काफी खुशी है. ग्रामीणों का कहना है कि हम सभी ग्रामीण जंगल को बचाने के लिए आगे आयेंगे तथा बांस बखारी से उपज करील को किसी भी कीमत पर तोड़ने नहीं दिया जायेगा.

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ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में जंगली हाथियों का सबसे प्रिय भोजन बांस की पत्तियां हैं. जंगल में बांस नहीं होने के कारण हाथी गांव की तरफ आने लगे हैं. वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि इसलिए जंगल में बांस को पुनर्जीवित किया जा रहा है ताकि जंगली हाथी शहर व गांव की ओर न आएं. वन विभाग के द्वारा बांस की रखवाली की जायेगी. हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के डीएफओ स्मिता पंकज ने कहा कि बांस संरक्षण से पर्यावरण के साथ-साथ जंगली हाथियों को भोजन मिलेगा. जंगल में भोजन के अभाव में जंगली हाथी गांव की ओर आ जाते हैं. उन्होंने आम लोगों से बांस को ना काटने व क्षति नहीं पहुंचाने की अपील की है.

वन संरक्षक एके सिंह ने कहा कि जंगल के विकास करने का यह एक हिस्सा है. बांस लगने से जंगल बढ़ेगा. पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में बल मिलेगा. बांस संरक्षण के कार्य में रेंजर सरयू प्रसाद के अलावा फोरेस्टर महाबीर गोप, वन रक्षी रजा अहमद, विनोद गंझू, विकास कुमार महतो की देख रेख में कार्य रूप दिया जा रहा है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar Digital Desk
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