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Bihar: आलू के लिए खतरनाक है कोहरा, फसल में झुलसा रोग से रहे सावधान, लक्षण दिखते ही करें ये उपाय

कोहरा गिरने के साथ-साथ पारा भी गिरने लगा है. लगातार तापमान में गिरावट हो रही है. जिससे आलू और सरसों का फसल का नुकशान होने की संभावना प्रबल हो गयी है.

बिहार में पिछले चार दिनों से ठंड के साथ-साथ कोहरा गिरने लगा हैं. कोहरा गिरने के साथ-साथ पारा भी गिरने लगा है. लगातार तापमान में गिरावट हो रही है. जिससे आलू और सरसों का फसल का नुकशान होने की संभावना प्रबल हो गयी है. जिला के सोन दियारा सहित कई जगहों पर बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती हैं. आलू के खेती करने वाले किसानों के माथे पर पसीना टपक रहा हैं. क्योंकि इसवर्ष महंगा बीज खरीदकर अपने खेतों में रोपाई किये हैं. वही आलू के बीज बहुत जगहों पर ठीक से अंकुरित नहीं हुआ. जिसके कारण भी किसान चिंतित हैं. वहीं, अरवल जिले में लगातार गिर रहे तापमान आलू में झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है. किसानों को अपनी फसल बर्बाद होने की चिंता सता रही है. बढ़ती ठंड से किसानों को डर है कि यदि आलू में झुलसा रोग लगा तो उनका फसल बर्बाद हो जाएगा.

फसल में झुलसा रोग से रहे सावधान

किसान अपने खेतों में नमी बनाए रखने के लिए पटवन कर लें. हालांकि अभी तापमान में उतार चढ़ाव जारी है. कभी 11 डिग्री तो कभी आठ तो कभी 9 डिग्री तक गिर रही है. जिला कृषि पदाधिकारी डॉ विजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि चार डिग्री सेल्सियस तक तापमान आ जायेगा तब खतरा बन जायेगा. ऐसे में किसान बचाव की पूरी तैयारी कर लें. कृषि विज्ञान केंद्र के लोदीपुर केवीके के कृषि वैज्ञानिक डॉ सुरेन्द्र कुमार चौरसिया ने बताया कि वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ने एवं आसमान में बादल छाए रहने के कारण आलू के पौधे को धूप नहीं मिलती. वातावरण में 80 फीसदी से अधिक नमी एवं 10 से 20 डिग्री तापमान पर यह रोग काफी तेजी से फैलता है. इससे दो से चार दिनों में ही पूरे फसल को अपनी चपेट में ले लेती है. यदि किसान समय पर इसका उपचार नहीं कर पाए तो इस बीमारी से पूरी फसल बर्बाद होने का खतरा बना रहेगा.

लक्षण दिखते ही करें दवाई का छिड़काव

केविके के लोदीपुर के विज्ञानी डॉ. चौरसिया ने बताया कि कड़ाके की ठंड व शीतलहर में आलू की फसल में झुलसा रोग का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल को बचाने के लिए लगातार देखभाल करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि झुलसा बीमारी में आलू का उत्पादन 80 से 90 फीसदी तक प्रभावित हो जाती है. लक्षण दिखाई देते ही मैंकोजेब, डाइथेन एम 45, सल्फर दो किग्रा या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड पांच सौ लीटर में मिलाकर खेतों में छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही ऐसे मौसम में खेतों में नमी की मात्रा बनाए रखें. प्रति दिन किसान अपने फसल को जरूर देखें. यदि इसमें किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो तुरंत कृषि विभाग से संपर्क करें. इससे कुछ हद तक फसल को नष्ट होने से बचाया जा सकता है.

Prabhat Khabar News Desk
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