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सूखी पड़ी ”रसवंती” से कब फूटेगी रसधार‍!

उम्मीद. बंद पड़ी है रसवंती बनानेवाली फल-सब्जी विकास निगम की इकाई 25 वर्ष पूर्व इकाई चालू होने से आयी थी किसानों की खुशहाली मांग के बावजूद केवल पांच वर्ष उत्पादन के बाद बंद हो गयी थी इकाई लोग अब तक नहीं भूले हैं हाजीपुर के फलों की रसवंती का स्वाद हाजीपुर : सूखी पड़ी रसवंती […]

उम्मीद. बंद पड़ी है रसवंती बनानेवाली फल-सब्जी विकास निगम की इकाई

25 वर्ष पूर्व इकाई चालू होने से आयी थी किसानों की खुशहाली
मांग के बावजूद केवल पांच वर्ष उत्पादन के बाद बंद हो गयी थी इकाई
लोग अब तक नहीं भूले हैं हाजीपुर के फलों की रसवंती का स्वाद
हाजीपुर : सूखी पड़ी रसवंती से कब फूटेगी रसधार‍! कब लौटेगी 25 साल पहले की बहार! वैशाली के खेतों में कब छायेगी टमाटर की लाली और कब आयेगी किसानों के घर खुशहाली!. ये कुछ ऐसे सवाल है, जिनका जवाब जिलावासी वर्षों से तलाश रहे हैं. जिले के हजारों किसान परिवारों और लाखों उपभोक्ताओं को रसवंती यूनिट के चालू होने का इंतजार है. शासन-प्रशासन से गुहार लगाते-लगाते थक-हार कर निराश हो चुके लोग उन अच्छे दिनों की वापसी की प्रतीक्षा में हैं, जब एक औद्योगिक इकाई से हजारों किसानों के चेहरे पर लाली और उनके घरों में खुशहाली आने लगी थी.
1985 में खुला समृद्धि का द्वार, 90 में फिरा उम्मीदों पर पानी : हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में लगभग तीन दशक पहले बिहार फल-सब्जी विकास निगम की फल-सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई की स्थापना हुई. इसका खुलना जिले के किसानों के लिए वरदान साबित हुआ था. 1985 में संयंत्र इकाई के चालू होने से समृद्धि के द्वार भी खुले.
रसवंती के नाम से इसका उत्पाद इतना लोकप्रिय हुआ कि कई देशों में इसकी मांग होने लगी. इस औद्योगिक इकाई के चालू होने के बाद जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती शुरू हो गयी थी. लगभग दस हजार किसान परिवार टमाटर की फसल उगा कर अपनी किस्मत संवारने लगे थे. फल-सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई द्वारा जूस का उत्पादन करने के लिए बड़े पैमाने पर टमाटर की खरीद की जाने लगी. किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होने लगी. इस तरह से यह इकाई किसानों की आय का एक स्थायी जरिया भी बन गयी.
दुर्भाग्य इस जिले का कि किसानों के लिए वरदान बनी रसवंती कुछ सालों में ही सूख जाने को अभिशप्त हो गयी. 90 के दशक की शुरुआत में यह औद्योगिक इकाई बंद कर दी गयी और इसके बंद होते ही रसवंती के साथ-साथ किसानों के सपने भी टूटे गये.
रूस और कनाडा के लोग भी थे रसवंती के मुरीद : फल-सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई में उत्पादित फलों के रस और जूस के देश-दुनिया के लाखों लोग मुरीद बन चुके थे.
रसवंती के नाम से मशहूर पेय पदार्थ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद किये जाने लगे थे. सोवियत रूस, भूटान, कनाडा आदि देशों में यह उत्पाद निर्यात होने लगा था. रसवंती की मांग इतनी बढ़ गयी थी कि इसका उत्पादन कम पड़ने लगा था. जानकारों के मुताबिक, इकाई में प्रतिदिन छह हजार बोतल का उत्पादन होता था, जबकि मांग लगभग 15 हजार बोतलों की थी.
कृषि विभाग के प्रयास से चालू होने की उम्मीद जगी
रसवंती फिर से शुरू हो जाये, इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है. जानकारी मिली है कि सरकार इस बंद इकाई को अपने स्तर से चालू करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए कृषि विभाग द्वारा प्रयास शुरू किया गया है. इकाई को पुनर्जीवित करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनांसियल सर्विसेज एजेंसी ने कृषि विभाग को कई प्रस्ताव दिये थे. इन प्रस्तावों में यूनिट को सरकार द्वारा खुद चलाने,
पीपीपी मोड में इसे चालू कराने या इसे चलाने के लिए किसी उद्यमी को सौंपने जैसे कई विकल्प सुझाये गये थे. जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इन सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद इकाई को अपने स्तर से चलाने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग यूनिट अत्याधुनिक मशीन के माध्यम से अच्छी क्वालिटी का उत्पादन करने की योजना पर काम कर रहा है. विभागीय सूत्र के अनुसार रसवंती यूनिट को चालू कर यहां लीची, केला, टमाटर, आम, अमरुद आदि के जूस के साथ-साथ अन्य प्रकार के उत्पाद तैयार किये जायेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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