चीनी मिल पर आश्रित हैं बाजार के 31 सौ परिवार
Advertisement
चीनी मिल बंद हुई तो आर्थिक संकट से जूझेगा बाजार
चीनी मिल पर आश्रित हैं बाजार के 31 सौ परिवार 1990 में बंद हो गयी थीं सासामुसा चीनी मिल की दो इकाइयां गोपालगंज : सासामुसा चीनी मिल हादसे के बाद बंद होने के साथ ही सासामुसा बाजार पर संकट मंडराने लगा है. सासामुसा बाजार का अपना इतिहास है. यहां के कारोबारियों की अपनी ख्याति है. […]
1990 में बंद हो गयी थीं सासामुसा चीनी मिल की दो इकाइयां
गोपालगंज : सासामुसा चीनी मिल हादसे के बाद बंद होने के साथ ही सासामुसा बाजार पर संकट मंडराने लगा है. सासामुसा बाजार का अपना इतिहास है. यहां के कारोबारियों की अपनी ख्याति है. सासामुसा चीनी मिल की दो उद्योगिक इकाइयां 1990 के दशक से बंद है. चीनी मिल के मालिक रहे अमिर हसन के जमाने में दो भाइयों के बीच उत्पन्न हुए विवाद के कारण दोनों पेपर मिल बंद हो गया. तब एक हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गये थे. सिर्फ चीनी मिल बाजार के आर्थिक संकट को उबार लिया था.
आज वह संकट फिर से खड़ा हो गया है. चीनी मिल की बदौलत 3100 परिवार का कारोबार टिका हुआ था. महज पांच दिनों में सासामुसा बाजार में उदासी छा गयी है. ग्राहक आधा से भी कम पहुंच रहे हैं. यहां के कारोबारियों की भी नींद उड़ गयी है. चीनी मिल अगर नहीं चला तो कारोबार भी धीरे-धीरे ठप होने लगेगा. खासकर बड़े कारोबारियों के लिए चिंता का विषय है.
गौरतलब है कि हादसे के बाद 20 दिसंबर से चीनी मिल बंद है. मिल मालिक जेल में है. मिल मालिकों के जमानत के बाद यह तय होगा कि चीनी मिल चलेगा या नहीं. चीनी मिल को इस सत्र में चला पाना टेढ़ी खीर है. मालिक दिन रात मशीनों की रिपेयर कराते हैं तो अगले सत्र से पेराई शुरू हो सकती है. चीनी मिल के मजदूर से लेकर किसान तक इस उत्पन्न संकट से चिंतित है. किसानों का मानना है कि कही हथुआ चीनी मिल की तरह सासामुसा चीनी मिल बंद हुआ तो न सिर्फ किसान, मजदूर बल्कि सासामुसा बाजार के अस्तित्व पर भी संकट उत्पन्न हो जायेगा.
किसानों का सहयोग करते थे कारोबारी : सासामुसा चीनी मिल में गन्ना बेचने वाले किसानों के हर सहयोग में कारोबारी खड़ा रहते थे. किसान के पास अगर पैसा नहीं है तो भी उन्हें जरूरत के सभी सामान उनके पर्चियों को बंधक रख कर दे देते थे. पारचून के कारोबारी अजीत कुमार की माने तो किसान के पास पैसा नहीं हुआ तो पर्ची से अपना काम चला लेते थे. पर्ची का भुगतान करोबारी करा लेते थे. ऐसे एक सौ से अधिक कारोबारी परिवार आज संकट में आ गया है.
किसानों पर टिका है बाजार : इलाके के किसानों से कारोबारियों का अटूट रिश्ता है, लेकिन चीनी मिल बंद हुआ तो यह रिश्ता बचना मुश्किल है. आज के इस आधुनिकता में रिश्ता निभाने का वक्त किसके पास है. किसान यहां न सिर्फ जरूरत की सामान के लिये आते थे, बल्कि संबंधियों के शादी- विवाह में भी गन्ना के पर्चियों की बदौलत लाखों का सामान लेकर अपना काम चला लेते थे.
हादसे के लिए कारखाना निरीक्षक दोषी : इंटक
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के एक दल ने सासामुसा चीनी मिल हादसे की जांच करने के बाद मृतकों एवं घायलों के परिजनों से मिल कर उनकी स्थिति की जानकारी ली. इंटक के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह एवं इटक के अध्यक्ष ताहिर हुसैन ने कहा है कि चीनी मिल हादसा के लिए जितना दोषी चीनी मिल के मालिक को माना जा रहा है. उससे अधिक दोषी कारखाना निरीक्षक एवं ब्वायलर इंस्पेक्टर है. इनपर हत्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये.
राज्यपाल को दिये गये ज्ञापन में इटक ने कहा है कि घायल मजदूरों को तत्काल उचित इलाज के लिए मुआवजा दिया जाये एवं मृत कर्मचारियों के आश्रितों को कंपनी क्षतिपूर्ति दे. कारखाना निरीक्षक एवं ब्वायलर निरीक्षक किसी भी चीनी मिल में जांच करने नहीं जाते हैं. दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो सासामुसा से पटना तक आंदोलन किया जायेगा.
श्रम अधीक्षक के द्वारा चीनी मिलों का भ्रमण नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से स्थायी जगह पर डेली वेजेज के मजदूरों से काम लिया जा रहा.
वाम दलों ने दी आंदोलन की चेतावनी
बरौली, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की नगर इकाई ने बैठक कर सासामुसा चीनी मिल में मारे गये मजदूरों के प्रति शोक जताते हुए उनके आश्रितों को उचित मुआवजा देने तथा उनके एक परिजन को नौकरी देने की मांग की है. बैठक में जिला पर्षद उपेंद्र तिवारी एवं नगर पर्षद सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि मिल के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि दुर्घटना के लिए मिल प्रबंधन पूर्णत: दोषी है
जिसने बिना उचित जांच के मिल में पेराई चालू कर दी़ साथ हीं गन्ना किसानों तथा मजजूरों के हित में मिल में पुन: पेराई कार्य चालू होना चाहिए़ अगर ऐसा नही होता है तो भाकपा एटक के साथ मिल कर जोरदार आंदोलन करेगा. मौके पर डॉ केडी प्रसाद, विपिन बिहारी वर्मा, गौतम प्रसाद, राजेश कुमार, सुशीला सिंह, कृष्णबिहारी यादव, बाबूलाल शर्मा, पंकज कुमार, स्वामीनाथ चौधरी, गणेश सिंह, अरुण कुमार सिंह आदि उपस्थित थे.
खत्म हो जायेगी रौनक
अंग्रेजी शासन काल से सासामुसा की अपनी पहचान है. यह पहचान चीनी के कारण अधिक है. यहां 30-40 गांवों के किसान गन्ना मिल होने के कारण आते-जाते है. यह संकट व्यवसायियों के लिए चिंता का विषय है.
संत कुमार, प्रमुख कपड़ा कारोबारी
चीनी मिल बंद होने से बाजार में अभी से ही सन्नाटा पसर गया है. लोगों के नहीं आने से कारोबार पर 70% का असर है. इस बार चीनी मिल के महज 22 दिन चलने के बाद बंद होने से सर्वाधिक असर बाजार पर है.
लक्षुमण प्रसाद, गल्ला व्यावसायी
पेपर मिल बंद होने से पांच-सात वर्षों तक सासामुसा बाजार आर्थिक संकट से जूझा था. इस बार अगर चीनी मिल बंद हुआ तो सासामुसा का भी अस्तित्व मिट जायेगा. आज सभी लोगों को चीनी मिल को बचाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है.
सरयुग प्रसाद सोनी, ज्वेलरी कारोबारी
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement