– परिजनों ने डॉक्टर पर लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप – घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी मौके से हुए फरार – पांच लाख रुपये मृतका के परिजनों को देकर मामले को रफा-दफा करने का किया जा रहा प्रयास – अस्पताल का रजिस्ट्रेशन फरवरी में ही हो गया था समाप्त, विभाग कर रहा है जांच सुपौल. शहर के चिल्ड्रेन पार्क के सामने एक निजी अस्पताल में शुक्रवार को प्रसव के बाद महिला की मौत से गुस्साए परिजनों ने जमकर बवाल काटा. परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत हुई है. घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टर सहित सभी कर्मचारी मौके से फरार हो गए. बताया जाता है कि सदर थाना क्षेत्र के बकोर वार्ड नंबर 12 निवासी मंतोष चौधरी की पत्नी रेणु देवी (22) को बुधवार की रात प्रसव पीड़ा होने पर चिल्ड्रेन पार्क के सामने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. गुरुवार को ऑपरेशन के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया. शुक्रवार की सुबह अस्पताल के एक कंपाउंडर ने रेणु देवी को इंजेक्शन लगाया. इसके बाद अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई और कुछ ही देर के बाद उसकी मौत हो गई. रेणु की मौत की जानकारी मिलते ही परिजनों का आक्रोश फूट पड़ा. परिजन डॉक्टर और कंपाउंडर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे. मृतका की सास लक्ष्मी देवी ने कहा कि इंजेक्शन देने के तुरंत बाद ही उसकी बहू की हालत खराब हुई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं ड्यूटी पर तैनात डॉ मिथिलेश कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि मरीज की स्थिति पूरी तरह सामान्य थी, लेकिन अचानक कार्डियक प्रॉब्लम के कारण मौत हो गई. उधर, परिजनों का आक्रोश देख अस्पताल के डॉक्टर सहित सभी कर्मचारी वहां से गायब हो गए. घटना की जानकारी मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की. हालांकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं. उधर, पीएचसी प्रभारी अभिषेक बच्चन ने बताया कि अस्पताल के कागजातों का अवलोकन किया जा रहा है. जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि अस्पताल वैध है या अवैध. बिना लाइसेंस के शहर में संचालित हैं कई निजी नर्सिंग होम लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है. जिले में ऐसे सैकड़ों निजी अस्पताल और क्लीनिक बिना लाइसेंस के संचालित हैं, जहां बिना योग्य डॉक्टरों के इलाज होता है. आए दिन मरीजों की मौतें हो रही हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है. सूत्रों के अनुसार महिला की मौत के बाद मामले को दबाने के लिए लगभग पांच लाख रुपये में सौदा किया गया, जिसमें कुछ जनप्रतिनिधियों, पुलिस कर्मियों और बिचौलियों की भूमिका बताई जा रही है. उधर, लोगों का कहना है कि जिले में अवैध क्लिनिकों पर स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है. आखिर कब तक गरीबों की जिंदगी से इस तरह खिलवाड़ होता रहेगा. कब तक बिना अनुमति के संचालित ये क्लीनिक मौत का सौदा करते रहेंगे और कब तक प्रशासन आंख मूंदे बैठे रहेगा. 11 महीने पहले ही रेणु की मंतोष से हुई थी शादी बताया जाता है कि सदर प्रखंड के बलहा पंचायत के मखनपट्टी निवासी लक्षमी चौधरी की पुत्री रेणु की शादी बकौर निवासी अमरेन्द्र चौधरी के पुत्र मंतोष चौधरी से दिसंबर 2024 में हुई थी. बुधवार को जब रेणु को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में ऑपरेशन कर रेणु ने पुत्र को जन्म दिया. घर में पुत्र के आने की खबर से खुशी का माहौल था, लेकिन कुछ ही देर बाद रेणु की मौत की जानकारी मिलते ही खुशी गम में तब्दील हो गया. घटना के बाद से परिजनों में कोहराम मचा है. उधर, सीएस डॉ ललन ठाकुर ने बताया कि परिजनों द्वारा अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है. निजी अस्पताल का रजिस्ट्रेशन फरवरी में ही समाप्त हो गया है. जांच के लिए पीएचसी प्रभारी को भेजा गया. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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