सुपौल. सितंबर का महीना अब अंतिम पड़ाव पर है. आमतौर पर इस समय तक हल्की ठंडक दस्तक देने लगती है और लोग चिलचिलाती धूप से राहत महसूस करते हैं. लेकिन इस साल मौसम ने अपना मिजाज बदल लिया है. सुबह सात बजे के बाद से ही धूप चुभने लगती है और दोपहर तक सूरज आग बरसाने लगता है. तेज गर्मी और उमस ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. गांव से लेकर शहर तक हर जगह लोग परेशान दिख रहे हैं. बाजारों में सन्नाटा पसरा है. उमस और लू जैसे हालात के कारण लोग दिन में बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं. सामान्य से अधिक तापमान मौसम विभाग के अनुसार, सितंबर के अंतिम दिनों में अधिकतम तापमान सामान्यतः 30 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. लेकिन इस बार पारा 35 से 37 डिग्री तक पहुंच रहा है. कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ देबन कुमार चौधरी ने बताया कि रविवार को जिले का अधिकतम तापमान 34.9 डिग्री और न्यूनतम 26.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार दिनों में हल्की बारिश की संभावना है, हालांकि तत्काल राहत की संभावना कम है. स्वास्थ्य पर असर तेज धूप और उमस का असर स्वास्थ्य पर भी दिख रहा है. सदर अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. डॉक्टरों के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में वायरल फीवर और चर्म रोग के मामले तेजी से बढ़े हैं. रोजाना सैकड़ों मरीज बुखार, सिरदर्द, गले में खराश और बदन दर्द जैसी शिकायतों के साथ इलाज के लिए आ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उमस और पसीने की वजह से चर्म रोगी भी बढ़ रहे हैं. बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर ज्यादा पड़ रहा है. किसानों की बढ़ी चिंता लगातार बढ़ती गर्मी से किसान भी चिंतित हैं. धान की फसल पर असर दिखने लगा है. किसानों का कहना है कि पौधों को इस समय पर्याप्त पानी और ठंडी हवाओं की जरूरत होती है, लेकिन तेज धूप और उमस के कारण फसल मुरझाने लगी है. यदि मौसम जल्द नहीं बदला तो उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. लोग बताते हैं कि इस बार सितंबर के अंतिम सप्ताह में भी राहत नहीं मिल पा रही. दिन की तपिश और रात की उमस से नींद तक पूरी नहीं हो रही. मजबूरी में बाहर निकलने वाले रिक्शा चालक, ठेला-फेरी वाले और खेतिहर मजदूर सबसे अधिक परेशान हैं.
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