वीरपुर : बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद नेपाल प्रभाग से शराब की खेप सीमावर्ती इलाकों में आसानी से पहुंचाया जा रहा है. साथ ही तस्करों द्वारा शराबियों को होम टू टेक डिलेवरी कराया जा रहा है. हालात ऐसी है कि शराब के शौकीनों को शराब के बदले राशि जो भी चुकानी परे ,पर शराब आसानी से उपलब्ध हो जाता है. वहीं शराब के शौकीन आसानी से सीमावर्ती इलाकों में शराब पीकर बोतल फेंक देते हैं. जबकि शराब के कारोबार पर जिन्हें निगाह रखनी है वे मूकदर्शक बने रहते हैं. बता दें कि एक अप्रैल मुख्य मंत्री नीतीश कुमार पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर शराबबंदी कानून लागू कर दिया गया.
यहां तक कि पूर्ण शराब बंदी की चर्चा शहर से लेकर गांव-गांव तक जागरूकता अभियान के साथ-साथ प्रचार-प्रसार भी किया जाता रहा. इन दिनों भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के भीमनगर कटैया पावर हाउस के पास पूर्वी मुख्य नहर सड़क पर नेपाली शराब गोल्डन ओके के सैकड़ों बोतल पीकर बिखरा होना कई सवालों को जन्म देता हैं. जबकि सीमा के चारों ओर एसएसबी की तैनाती की गई है.
शराब पीने वाले हो या शराब बेचने वाले इन सभी लोगों पर नजर रखने और पकड़ने के लिए सरकार द्वारा उत्पाद विभाग की टीम के अलावे हर थानों में टाइगर मोबाइल को लगाया गया हैं. बावजूद नेपाली शराब का नेपाल से आना और बिहार के सीमावर्ती इलाका में आसानी से पहुंच जाना यह शराब बंदी कानून को आईना दिखा रहा है. इस बाबत जनाधिकार पार्टी के जिला संगठन सचिव माया शंकर देव ने कहा कि शराबबंदी तो नाम का है. प्रशासन शराब कारोबारी से मिले हुए हैं और शराब का खुला कारोबार सीमावर्ती क्षेत्र में हो रहा है.