प्रतिनिधि,भगवानपुर हाट.प्रखंड क्षेत्र के बाबा बाजार के पास गंडकी नदी पर वर्षों से ध्वस्त पड़े पुल के नीचे सोमवार को एक अनियंत्रित पिकअप वाहन गिरते-गिरते बचा. इस घटना ने बड़ा हादसा होने से टाल दिया, लेकिन मौके पर मौजूद लोग दहशत में आ गए. घटना उस समय हुई जब पंचायत की चार योजनाओं के उद्घाटन कार्यक्रम के बाद जिला पार्षद सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता शेखर कुशवाहा समेत एक दर्जन लोग ध्वस्त पुल का मुआयना कर रहे थे. तभी अचानक एक पिकअप वाहन अनियंत्रित होकर पुल के नीचे जा धंसा. सौभाग्य से आसपास मौजूद लोगों ने समय रहते स्थिति भांप ली और जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग गए. घटना की सूचना पाकर आस-पास के सैकड़ों ग्रामीण जुट गए और पुल निर्माण की मांग तेज कर दी. पांच पंचायतों ने दी चेतावनी : पुल नहीं तो वोट नहीं गंडकी नदी पर स्थित यह पुल डेढ़ वर्ष से ध्वस्त पड़ा है. इसके चलते मीरजुमला, शंकरपुर, महाराजगंज प्रखंड के सिकटिया, तक्कीपुर, पटेड़ी और सारण जिले के लहलादपुर पंचायत के ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है. ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि विभाग जल्द पुल निर्माण नहीं कराता तो आगामी विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे.स्थानीय लोगों ने याद दिलाया कि वर्ष 2024 में गंडकी नदी पर कई पुल बारिश और खुदाई से ध्वस्त हो गए थे.अधिकांश पुलों का निर्माण विभाग या जनप्रतिनिधियों की पहल से हो चुका है, लेकिन बाबा बाजार का यह पुल अब भी उपेक्षित है. ग्रामीणों ने सांसद- विधायक पर उठाए सवाल ग्रामीण पप्पू कुशवाहा, डॉ. सुगेन सिंह, अमित कुमार, राजकिशोर साह, अंशु कुमार, अंकित कुमार गुप्ता, नसीम मियां, प्रभु साह, परशुराम प्रसाद सहित कई लोगों ने बताया कि बीते वर्ष सकड़ी महावीरी मेला में स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने पुल निर्माण कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हुआ. इसी तरह स्थानीय विधायक विजयशंकर दुबे से भी कई बार गुहार लगाई गई, मगर नतीजा शून्य रहा. लोगों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. दस से अधिक गांव प्रभावित: पुल के ध्वस्त होने से दस से अधिक गांव के लोग परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल आवागमन का मुख्य साधन था.अब एक-दूसरे के गांव में आना-जाना कठिन हो गया है.सबसे ज्यादा असर खेती-किसानी पर पड़ा है, क्योंकि दोनों तरफ के किसानों की जमीनें एक-दूसरे के गांव में फैली हैं. पुल नहीं होने से खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है.ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देते तो आंदोलन तेज किया जाएगा.
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