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सीवान में डेंगू का कहर , मरीज बेहाल

जिले में पिछले 15 दिनों से डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है.रोजाना दर्जनों मरीज सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है. विभाग छह अक्टूबर को वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चिकित्सा पदाधिकारियों को क्लीनिकल मैनेजमेंट का प्रशिक्षण देने की तैयारी में जुटा है, लेकिन मौजूदा स्थिति में यह कदम देर से उठाया जा रहा है.

प्रतिनिधि,सीवान.जिले में पिछले 15 दिनों से डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है.रोजाना दर्जनों मरीज सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती और अपर्याप्त सुविधाओं के कारण गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है. विभाग छह अक्टूबर को वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चिकित्सा पदाधिकारियों को क्लीनिकल मैनेजमेंट का प्रशिक्षण देने की तैयारी में जुटा है, लेकिन मौजूदा स्थिति में यह कदम देर से उठाया जा रहा है. सदर अस्पताल में डेंगू के इलाज की कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. ओपीडी में रोजाना 10-12 से अधिक मरीज डेंगू के लक्षणों के साथ पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टर बिना विधिवत जांच के उन्हें ओआरएस पाउडर और बुखार की दवा देकर घर भेज देते हैं. शुक्रवार को नयी बस्ती मुहल्ले के 19 वर्षीय युवक को हालत बिगड़ने पर परिजन सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ले आये.गुरुवार को आरटी-पीसीआर लैब में उसकी डेंगू एलाइजा कंफर्मेशन जांच पॉजिटिव आई थी, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज की सुविधा न होने का हवाला देकर मरीज को लौटा दिया. मजबूरी में परिजनों ने शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. रैपिड किट से एनएस-1 पॉजिटिव रिपोर्ट को डेंगू संक्रमण नहीं मानता है विभाग स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि वे रैपिड किट से एनएस-1 पॉजिटिव रिपोर्ट को डेंगू संक्रमण नहीं मानते. पिछले साल डेंगू के नये वेरिएंट ने मरीजों की मुश्किलें बढ़ाई थीं.किट से नेगेटिव रिपोर्ट वाले कई मरीजों की एलाइजा जांच में पॉजिटिव निकले, जिनमें लक्षण साफ दिख रहे थे और प्लेटलेट्स भी गिर रहे थे. फिर भी, अधिकारी आइजीजी और आइजीएम पॉजिटिव मरीजों की कंफर्मेशन जांच से इनकार कर देते हैं.विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रारंभिक लक्षण दिख रहे हैं, तो कंफर्मेशन जांच जरूरी है, लेकिन विभाग के दिशा-निर्देशों में कमी है. हाथी का दांत बना सदर अस्पताल का डेंगू वार्ड जिले में डेंगू महामारी का रूप ले चुका है, लेकिन सदर अस्पताल का डेंगू वार्ड सिर्फ ””””हाथी के दांत”””” साबित हो रहा है. पिछले कई सालों से अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंगू वार्ड बनाए गए हैं, लेकिन आज तक एक भी मरीज को यहां भर्ती नहीं किया गया. मॉडल सदर अस्पताल में वार्ड तो है, लेकिन इंचार्ज एक पैरामेडिकल स्टाफ को सौंपा गया है, जिसके पास चाबी रहती है. स्टाफ रोस्टर ड्यूटी पर आते हैं, जिससे वार्ड व्यावहारिक रूप से बंद रहता है. इमरजेंसी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को जवाबदेही दी गई है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही. क्या कहते हैं जिम्मेदार प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र के एक डॉक्टर को डेंगू एवं चिकनगुनिया के संबंध में छह अक्टूबर को प्रशिक्षण दिया जाना है. वैसे सभी डॉक्टर इलाज करने के लिए प्रशिक्षित है.विभाग के गाइड लाइन के अनुसार रैपिड किट से एनएस-1 पॉजिटिव रिपोर्ट को डेंगू संक्रमित नहीं मानना है. डॉ ओपी लाल,जिला मलेरिया पदाधिकारी,सीवान.

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