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शहीदन बोली, यह कैसा इंसाफ है?

रीगा : गोली कांड का शिकार हुये मुनीफ नद्दाफ के परिजन गुरुवार को कोर्ट के फैसले से हतप्रभ हैं. प्रखंड के अन्हारी गांव स्थित मुनीफ नद्दाफ के घर के सन्नाटा पसरा है. मुनीफ की विधवा शहीदन खातून कहती है कि अब परवरदिगार सच का फैसला करेंगे. वह कहती है, यह कैसा इंसाफ है? गोली खानेवाले […]

रीगा : गोली कांड का शिकार हुये मुनीफ नद्दाफ के परिजन गुरुवार को कोर्ट के फैसले से हतप्रभ हैं. प्रखंड के अन्हारी गांव स्थित मुनीफ नद्दाफ के घर के सन्नाटा पसरा है. मुनीफ की विधवा शहीदन खातून कहती है कि अब परवरदिगार सच का फैसला करेंगे. वह कहती है, यह कैसा इंसाफ है?
गोली खानेवाले को 10 साल की सजा और गोली चलाने वाले को पदोन्नति. सामाजिक कार्यो में रुचि रखने वाले मुनीफ नद्दाफ बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं के सवाल पर उस मनहूस दिन को समाहरणालय पहुंचे थे. प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोली से उनकी मौत हो गयी थी.
पेशे से मजदूरी करने वाले मुनीफ नद्दाफ अपने पांच पुत्रों मो हलीम, मो हुसैनी, मो रहमान, मो कादिर, मो आलिम को पढ़ाने लिखाने का सपना देखे थे. उनकी मौत के साथ परिवार का वह सपना भी टूट गया. गरीबी के कारण पुत्रों को पढ़ाई लिखाई छोड़ कर पिता की तरह मजदूरी करनी पड़ रही है. शहीदन कहती है, सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ इंदिरा आवास मिला है. पति की मौत के बाद सरकारी अधिकारियों की ओर से पुत्र को नौकरी दिलाने का भरोसा दिया था, जो कोरा साबित हुआ.

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