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नासरीगंज चोरी कांड का खुलासा, कोढ़ा गैंग के दो सदस्य गिरफ्तार

SASARAM NEWS.नासरीगंज थाना क्षेत्र में बाइक की डिक्की तोड़कर 50 हजार रुपये चोरी करने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है.

चोरी के 50 हजार रुपये, 80 हजार नकद व चोरी की बाइक भी बरामद

बिक्रमगंज.

नासरीगंज थाना क्षेत्र में बाइक की डिक्की तोड़कर 50 हजार रुपये चोरी करने के मामले का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. पुलिस ने इस कांड में संलिप्त कोढ़ा गैंग के दो सक्रिय सदस्यों को कटिहार जिला अंतर्गत कोढा थाना क्षेत्र के जुराबगंज से गिरफ्तार किया है.अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एएसपी संकेत कुमार ने बताया कि 17 दिसंबर की रात नासरीगंज बाजार स्थित बैंक से रुपये निकालकर जा रहे सर्वानंद डिहरी गांव निवासी शंकर दयाल सिंह की मोटरसाइकिल की डिक्की तोड़कर 50 हजार रुपये चोरी कर ली गयी थी. इस संबंध में नासरीगंज थाना कांड संख्या 433/25 दर्ज कर त्वरित कार्रवाई की गयी. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच के दौरान पुलिस ने कटिहार जिले के जुराबगंज गांव से सुमित कुमार उर्फ शिमो यादव (21) और अभय कुमार उर्फ नैन्शु कुमार (19) को गिरफ्तार किया. पूछताछ में दोनों ने रोहतास जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हाल के दिनों में हुई चोरी व छिनतई की घटनाओं में अपनी संलिप्तता स्वीकार की. अपराध स्वीकारोक्ति के आधार पर पुलिस ने कोचस थाना कांड से 80 हजार रुपये नकद, नासरीगंज थाना कांड से चोरी के 50 हजार रुपये और एक पल्सर 220 बाइक बरामद की, जो जांच में चोरी की पायी गयी. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार दोनों अभियुक्त कोढ़ा गैंग के सक्रिय सदस्य हैं और संगठित तरीके से जिले–जिले घूमकर वारदात को अंजाम देते है. एएसपी ने कहा कि पुलिस टीम ने बड़ा काम किया है इसका इनाम भी इन्हें जरूर मिलेगा. इस कार्रवाई को बड़ी सफलता माना जा रहा है.

कटिहार का जुराबगंज: जहां चोरी बनी पहचान, यहीं से निकला कुख्यात कोढ़ा गैंगदेशभर में फैला लूटपाट का नेटवर्क, पीढ़ी दर पीढ़ी अपराध की ट्रेनिंगप्रतिनिधि, बिक्रमगंज.

कभी राजस्थान से आकर बसे बंजारों का एक छोटा सा समूह आज कटिहार जिले के कोढ़ा थाना अंतर्गत जुराबगंज गांव के नाम से जाना जाता है. समय के साथ इस गांव की पहचान बदलती चली गयी और आज इसकी पहचान चोरी, छिनतई और लूटपाट को पेशे के रूप में अपनाने वाले गांव के रूप में बन चुकी है. इसी गांव से कुख्यात कोढ़ा गैंग निकला, जिसने बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में अपराध का जाल फैला रखा है. अक्सर अखबारों और टीवी चैनलों पर खबरें आती हैं. कहीं बाइक सवारों ने चेन झपट ली, कहीं बैंक से पैसा निकालकर लौट रहे व्यक्ति से लूट हो गयी, तो कहीं पार्किंग से कार चोरी हो गयी. ये घटनाएं अलग–अलग जगहों की लगती हैं, लेकिन जांच की कड़ी जब पीछे जाती है, तो बार–बार एक ही नाम सामने आता है-कोढ़ा गैंग.

बिक्रमगंज पुलिस इस गैंग तक पहुंची.

इस कार्रवाई में शामिल बिक्रमगंज थाना के एसआइ विकास कुमार ने बताया कि वे तीन दिनों तक जुराबगंज गांव में रुके और वहां की सामाजिक व आपराधिक संरचना को करीब से समझा. एसआइ विकास कुमार के अनुसार, जुराबगंज गांव में करीब 400 घर हैं और आबादी लगभग पांच हजार के आसपास है. चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि गांव में शायद ही कोई ऐसा परिवार हो, जिसके किसी न किसी सदस्य पर चोरी, लूट या छिनतई का मामला दर्ज न हो. यही कारण है कि इस गांव का नाम आते ही पुलिस रिकॉर्ड में अलर्ट हो जाता है.

राजस्थानी बंजारों से शुरू हुई कहानी, अपराध में बदली पहचानबिक्रमगंज थाना के एसआइ विकास कुमार ने बताया कि पुलिस जांच और स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, जुराबगंज में रहने वाले लोग मूल रूप से बंजारा समुदाय से हैं, जो करीब 30–40 वर्ष पहले राजस्थान से आकर यहां बसे थे. शुरुआती दिनों में गरीबी और बेरोजगारी के कारण छोटी–मोटी चोरियां शुरू हुईं, लेकिन धीरे–धीरे यह अपराध संगठित नेटवर्क में तब्दील हो गया. समय के साथ कोढ़ा गैंग ने अपने काम करने का तरीका भी बदला. बाइक से रेकी करना, भीड़भाड़ वाले बैंक, बाजार और ट्रेनें इनका मुख्य निशाना बन गयीं. पहले यह गैंग बिहार की ट्रेनों में सक्रिय था, जहां सोते यात्रियों का सामान चुरा लिया जाता था. बाद में बैंक से पैसा निकालकर निकलने वाले लोग इनके आसान शिकार बनते चले गये.

कई पीढ़ियों से पीढ़ी दर पीढ़ी मिलती रहती हैं अपराध की ट्रेनिंगसबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जुराबगंज में आज भी चोरी की अनौपचारिक ट्रेनिंग दी जाती है. नये लड़कों को पुराने अपराधी तरीके सिखाते हैं. गैंग के बुजुर्गों की बात मानना यहां नियम माना जाता है. संगठित तरीके से अपराध करना, जमानत की व्यवस्था और जेल से निकलते ही फिर वारदात—यह पूरा तंत्र वर्षों से चलता आ रहा है.आज कोढ़ा गैंग का नेटवर्क बिहार से निकलकर उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैल चुका है. हालिया गिरफ्तारी ने एक बार फिर जुराबगंज गांव और कोढ़ा गैंग को सुर्खियों में ला दिया है.पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जब तक इस पूरे नेटवर्क और सामाजिक संरचना पर सख्ती से प्रहार नहीं किया जायेगा, तब तक कोढ़ा गैंग की जड़ें पूरी तरह खत्म करना आसान नहीं होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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