करगहर. विधानसभा चुनाव खत्म होते ही प्रखंड में पंचायत चुनाव परिसीमन की सरगर्मी बढ़ गयी है. हर चौक-चौराहे से लेकर गली-मुहल्लों में चर्चा है कि कौन-कौन वार्ड नगर पंचायत क्षेत्र में शामिल होंगे और कौन से इलाके पंचायत क्षेत्र में ही रह जायेंगे. दूसरी ओर, पंचायत प्रतिनिधि भी सशंकित हैं कि उनका इलाका नगर क्षेत्र में जायेगा या फिर ग्रामीण क्षेत्र में ही रहेगा. हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर परिसीमन को लेकर हलचल तेज है, लेकिन अधिकारी अधिकृत रूप से अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. प्रखंड कार्यालय के सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह के भीतर परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर जिले को रिपोर्ट भेज दी जायेगी. इसके लिए जिलास्तर से प्रस्ताव मांगा गया है. बीडीओ अजित कुमार लगातार वर्तमान एवं पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों से फीडबैक ले रहे हैं. सभी राजस्वकर्मी, अंचलकर्मी और पदाधिकारियों की बैठक कर आवश्यक जानकारी जुटायी जा रही है. क्या होता है परिसीमन आबादी के आधार पर पंचायत और नगर दोनों का परिसीमन किया जाता है. नगर परिसीमन में आबादी के साथ राजस्व गांव को भी शामिल किया जाता है, जबकि पंचायत परिसीमन केवल आबादी के अनुपात पर आधारित होता है. 12 हजार से अधिक आबादी या 75 प्रतिशत से ज्यादा गैर कृषि भूमि होने पर किसी पंचायत को नगर में उत्क्रमित किया जा सकता है. इसके अलावा भी कई मानकों को ध्यान में रखा जाता है. नये परिसीमन से बदल सकते हैं कई पंचायतों के नाम परिसीमन लागू होने पर कई पंचायतों के नाम बदलने की संभावना है. उदाहरण के तौर पर, अगर करगहर को नगर पंचायत बनाया जाता है तो उसके आसपास के सेमरी, सहुआड, लखनपुर, सिरिसियां और निमडिहरा गांवों को नगर क्षेत्र में शामिल किया जा सकता है. इन गांवों की दूरी करगहर मुख्यालय से डेढ़ से दो किलोमीटर ही है. सेमरी गांव सेमरी पंचायत का मुख्यालय है, लिहाजा इसके नगर पंचायत में जाने पर पंचायत का नाम बदलना तय है. करगहर और निमडिहरा मिलकर एक पंचायत बनाते हैं, जिसमें कुल 14 वार्ड हैं. करगहर में 12 और निमडिहरा में दो वार्ड हैं. प्रखंड मुख्यालय होने के कारण करगहर की कुल आबादी लगभग 10 हजार है. सेमरी में चार वार्ड, लखनपुरा में एक, सिरिसियां में तीन, सहुआड में तीन और निमडिहरा में दो वार्ड हैं. करगहर को छोड़कर बाकी गांवों के जोड़ दिये जाने पर नगर पंचायत बनने की सभी शर्तें पूरी होती हैं, साथ ही सभी गांव सड़क मार्ग से जुड़े हैं. क्या कहते हैं लोग करगहर को बहुत पहले नगर पंचायत बन जाना चाहिए था. कुछ जनप्रतिनिधियों ने निजी स्वार्थ सिद्धि को लेकर करगहर को नगर पंचायत नही बनने दिया. पूर्व विधायक संतोष कुमार मिश्र ने भी विधानसभा में करगहर को नगर पंचायत बनाने की आवाज उठायी थी – विमल उपाध्याय, पैक्स अध्यक्ष बहुत पुराना बजार करगहर नगर पंचायत बनने की सभी आहर्ता को भी पूरा करता है. इससे कम अबादी वाले और नये बजार जैसे दावथ, काराकाट व तिलौथु को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है. करगहर प्रशासनिक उदासीनता का शिकार हो गया. -हरिगोबिंद पांडेय उर्फ गोलू पांडेय, समाजसेवी करगहर को नगर पंचायत का दर्जा नही मिलने से यहां जितना विकास का होना चाहिए था, उतना नहीं हो पाया है. करगहर के विकास के लिए इसे नगर पंचायत बनाने की आवश्यता है. करगहर नगर पंचायत बनने का सभी आहर्ता पूर्ण करता है. – मोहम्मद आरिफ इस्लाम सेमरी करगहर में बिजली बिल और जमीन रजिस्ट्री फी शहरी क्षेत्र का लगता है. ऐसे में करगहर को नगर पंचायत बनने से क्यो वंचित किया है. करगहर बहुत ही पुराना बजार है. इसको नगर पंचायत नहीं बनाये जाना यहां के लोगों के साथ नाइंसाफी है. दीपक रंजन वर्मा, समाजसेवी करगहर के विकास के लिए इसको नगर पंचायत बनाने की सख्त जरूरत है. पंचायती राज में सिर्फ सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है. सरकारी राशि की खर्च के अनुपात में करगहर का समुचित विकास नहीं हो पाया है. इसके लिए पहल होनी चाहिए थी. बच्चा सिंह यादव,समाजसेवी, निमडिहरा 2014 में तत्कालीन बीइओ द्वारा राजनीतिक दबाव में सही रिपोर्ट नहीं देने के चलते करगहर को नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल पाया. इस बार करगहर के विकास के लिए नगर पंचायत बनाने की जरूरत है. लोगों को बस स्डैंड सब्जी मंडी, खेल मैदान का लाभ मिलेगा. राकेश पांडेय करगहर परिसिमन को लेकर फिलहाल जिले से किसी प्रकार का आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और न ही किसी प्रकार की कागजात की मांग की गयी है. इसलिए फिलहाल परिसीमन पर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. आदेश प्राप्त होते ही काम शुरू कर दिया जायेगा अजित कुमार, बीडीओ करगहर
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