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डीइओ कार्यालय में “22.58 लाख के स्कॉलरशिप घोटाले में अब तक नहीं हुई प्राथमिकी

क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक पटना ने 14 नवंबर को डीइओ को प्राथमिकी दर्ज कराने का दिया था निर्देश, 24 दिनों के बाद भी मामला नहीं हुआ दर्ज, 2017 में घोटाले का हुआ था खुलासा, लिपिक सहित अन्य दोषियों पर होनी है कार्रवाई, एक-दो दिन में दर्ज हो सकती है प्राथमिकी

सासाराम ऑफिस. जिले में 22.58 लाख रुपये के स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर विभागीय स्तर पर उदासीनता साफ नजर आ रही है. क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक पटना प्रमंडल की ओर से 14 नवंबर 2025 को जिला शिक्षा पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि सेवानिवृत्त लिपिक सुनील कुमार पाठक सहित अन्य दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी जाए. इतना ही नहीं, श्री पाठक के विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर विहित प्रपत्र में आरोप गठित कर कार्रवाई का प्रस्ताव भी भेजने का निर्देश दिया गया था, ताकि उनके खिलाफ बिहार पेंशन नियमावली 1950 के नियम 43 ””बी”” के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ सके. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि पत्र जारी हुए 24 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय ने बताया कि मामला प्रक्रिया में है. एक-दो दिन के अंदर प्राथमिकी दर्ज करा दी जायेगी. हालांकि, इतनी लंबी देरी ने पूरे प्रकरण पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं. आठ साल बाद भी रुपये नहीं वसूल सका विभाग गौरतलब हो कि यह मामला वर्ष 2017 का है. आरोप है कि उस समय जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत सुनील कुमार पाठक द्वारा मैट्रिक प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण बीसी-1, बीसी-2 तथा एससी-एसटी के प्रथम-द्वितीय श्रेणी के छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन व मेधावृत्ति राशि कुल 22,58,000 रुपये को गलत तरीके से जनता उच्च विद्यालय, अकोढ़ा, शिवसागर सहित अन्य 15 व्यक्तियों के खातों में भेज दिया गया था. आठ साल बाद भी विभाग रुपये की वसूली नहीं कर सका और न संबंधितों के विरुद्ध कोई कार्रवाई कर सका है. इन आठ वर्षों में सिर्फ पत्राचार होते रहा और जब कार्रवाई की बात आयी है, तो उसमें भी 24 दिन बीत चुके हैं. सवाल बड़ा यह है कि क्या इस भ्रष्टाचार में केवल लिपिक की भूमिका थी या अन्य कर्मी एवं पदाधिकारी भी इसकी जद में हैं. विभागीय कार्रवाई और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि इस घोटाले की जड़ कितनी गहरी है. इसमें कितने लोगों की संलिप्तता है.

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