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Saran News : योजनाओं के बंटवारे में गड़बड़ी का आरोप, मामला पहुंचा हाइकोर्ट

सारण जिला परिषद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. योजनाओं के असमान बंटवारे और पारदर्शिता की कमी को लेकर दरियापुर भाग-2 के जिला परिषद सदस्य करुणेश कुमार सिंह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि जिला परिषद में योजनाएं मनमाने ढंग से बांटी जा रही हैं, जिससे पार्षदों के अधिकारों का हनन हो रहा है.

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छपरा. सारण जिला परिषद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. योजनाओं के असमान बंटवारे और पारदर्शिता की कमी को लेकर दरियापुर भाग-2 के जिला परिषद सदस्य करुणेश कुमार सिंह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि जिला परिषद में योजनाएं मनमाने ढंग से बांटी जा रही हैं, जिससे पार्षदों के अधिकारों का हनन हो रहा है. उन्होंने दावा किया कि बाहरी व्यक्तियों को पैसे लेकर योजनाएं दी जा रही हैं, और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा की अनदेखी की जा रही है. हाइकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और जिला परिषद से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. वहीं, जिलाधिकारी ने भी उप विकास आयुक्त से अब तक प्राप्त राशि और उसके उपयोग की विस्तृत जानकारी मांगी है.

क्या है पूरा मामला :

पार्षद करुणेश सिंह ने हाइकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि पंचम, षष्टम और 15वीं वित्त आयोग के तहत प्राप्त योजनाएं उनके क्षेत्र में नहीं दी गयी हैं. सरकार के निर्देश के बावजूद सभी पार्षदों को योजनाओं का समान वितरण नहीं किया गया. इसके विपरीत, कुछ योजनाएं ऐसे लोगों को दे दी गयीं, जो संबंधित क्षेत्र के निवासी नहीं हैं. करुणेश सिंह ने आरोप लगाया कि विशेष रूप से अध्यक्ष के क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है और चापाकल जैसी सुविधाएं भी केवल उसी क्षेत्र में दी जा रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उनके कई पत्र जिलाधिकारी और उप विकास आयुक्त को भेजे गये, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अंततः उन्होंने न्यायालय की शरण ली.

पांच साल में दो अरब से अधिक की राशि, पर पारदर्शिता नदारद

करुणेश सिंह के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में जिला परिषद को विभिन्न योजनाओं के तहत दो अरब रुपये से अधिक की राशि प्राप्त हुई है. इसमें पंचम वित्त आयोग से 60 करोड़, षष्टम वित्त आयोग से 37 करोड़ और 15वीं वित्त आयोग से दो वर्षों में 67 करोड़ से अधिक राशि शामिल है. इसके बावजूद पार्षदों को यह जानकारी नहीं दी गयी कि ये राशि कहां और कैसे खर्च की गयी. पार्षद ने यह भी कहा कि जिला परिषद का एक पोर्टल है, लेकिन इस पोर्टल पर न तो योजनाओं की सूची है, न ही किस मद में कितना खर्च हुआ, इसकी कोई सूचना. इससे स्पष्ट है कि पारदर्शिता का घोर अभाव है और मनमानी तरीके से योजनाएं चलायी जा रही हैं.

पांच सदस्यीय समिति की मांग :

करुणेश सिंह ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि किसी भी योजना की राशि को खर्च करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाये. समिति में सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाये और योजनाएं पार्षदों की अनुशंसा से स्वीकृत की जाएं. उनका कहना है कि सरकार की मंशा है कि हर क्षेत्र में समान रूप से विकास हो, लेकिन जिला परिषद में इस नीति का पालन नहीं किया जा रहा.

पार्षदों में गहरा असंतोष :

इस पूरे मामले से जिला परिषद के अन्य पार्षदों में भी गहरा असंतोष है. कई पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अध्यक्ष और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाएं केवल चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित रह गयी हैं. उनका कहना है कि परिषद की बैठकों में भी योजनाओं पर पारदर्शिता से चर्चा नहीं की जाती. जीर्णोद्धार के नाम पर राशि का बंटवारा सबसे अधिक विवादास्पद है, जहां मनमानी और घोटाले की आशंका गहराई से मौजूद है.प्रशासनिक रवैये पर उठे सवालपार्षदों का यह भी कहना है कि जिलाधिकारी और उप विकास आयुक्त को लगातार पत्र लिखे गये, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. इससे सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी राशि के वितरण में निगरानी क्यों नहीं हो रही है. यह मामला जिला प्रशासन और परिषद की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. पार्षदों का आरोप है कि उनके अधिकारों की लगातार अनदेखी हो रही है और योजनाओं का वितरण पक्षपातपूर्ण तरीके से किया जा रहा है. अब यह देखना होगा कि हाइकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस मामले में क्या जवाब देता है और क्या वाकई कोई सुधारात्मक कदम उठाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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