सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के रानीबाग निवासी और टायर व्यवसायी की शिकायत पर हुई कार्रवाई खाते से फ्रिज हटाने और मामला सेटल करने के लिए एक लाख रुपये मांगने का आरोप चतुर्थवर्गीय कर्मी ने कहा, राज्य कर संयुक्त आयुक्त के कहने पर ली थी राशि राज्य कर संयुक्त आयुक्त ने कहा, पीड़ित को जानते तक नहीं, आरोपी पूरी तरह बेबुनियाद सहरसा. भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना की बड़ी कार्रवाई सामने आयी है. सोमवार की शाम निगरानी टीम ने राज्य कर संयुक्त कार्यालय में कार्यरत एक चतुर्थवर्गीय कर्मी को 75 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया. इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है. गिरफ्तार चतुर्थवर्गीय कर्मी की पहचान शंकर कुमार के रूप में हुई है, जो राज्य कर संयुक्त कार्यालय में पदस्थापित था. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना के पुलिस उपाधीक्षक पवन कुमार ने बताया कि यह कार्रवाई सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के रानीबाग निवासी और टायर व्यवसायी सिराजुल होदा की शिकायत के आधार पर की गयी. सिराजुल होदा ने पटना स्थित निगरानी कार्यालय में आवेदन देकर आरोप लगाया था कि राज्य कर विभाग के अधिकारियों द्वारा उनके बैंक खाते को टैक्स के नाम पर फ्रिज कर दिया गया है और उसे हटाने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही है. शिकायत के अनुसार सिराजुल होदा मार्च महीने से ही अपने खाते से फ्रिज हटवाने के लिए राज्य कर कार्यालय का चक्कर लगा रहे थे. बार-बार कार्यालय आने के बावजूद उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा था. इसी क्रम में जब वे राज्य कर संयुक्त आयुक्त प्रवीण कुमार से मिले तो उन्हें चतुर्थवर्गीय कर्मी शंकर कुमार से संपर्क करने को कहा गया. इसके बाद चतुर्थवर्गीय कर्मी ने खाते से फ्रिज हटाने और मामला सेटल करने के लिए एक लाख रुपये की मांग की. पीड़ित व्यवसायी ने बताया कि काफी मोलभाव के बाद रिश्वत की राशि 75 हजार रुपये पर तय हुई. इसके बाद उन्होंने पूरे मामले की सूचना निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को दी. निगरानी विभाग द्वारा शिकायत का सत्यापन कराया गया, जिसमें आरोप प्रथम दृष्टया सही पाये गये. इसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज कर धावा दल का गठन किया गया. सोमवार को तय योजना के अनुसार जैसे ही चतुर्थवर्गीय कर्मी शंकर कुमार ने शिकायतकर्ता से 75 हजार रुपये रिश्वत के रूप में लिए, निगरानी टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के दौरान रिश्वत की पूरी राशि बरामद कर ली गयी. इसके बाद चतुर्थवर्गीय कर्मी को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी. पूछताछ के दौरान गिरफ्तार चतुर्थवर्गीय कर्मी शंकर कुमार ने दावा किया कि उसने यह राशि अपने वरीय अधिकारी, राज्य कर संयुक्त आयुक्त प्रवीण कुमार के कहने पर ली थी. उसने यह भी कहा कि उसे जानबूझकर फंसाया गया है. चतुर्थवर्गीय कर्मी के इस बयान के बाद मामला और गंभीर हो गया है. क्योंकि इसमें अब विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पर भी सीधे तौर पर आरोप लग रहे हैं. वहीं शिकायतकर्ता सिराजुल होदा ने बताया कि वे मार्च महीने से लगातार विभाग के चक्कर लगा रहे थे. हर बार उन्हें टाल दिया जाता था और अंत में उनसे सीधे तौर पर पैसे की मांग की जाने लगी. उनके अनुसार संयुक्त आयुक्त प्रवीण कुमार द्वारा खाते से फ्रिज हटाने के नाम पर एक लाख रुपये की मांग की गयी थी. जिसे बाद में 75 हजार रुपये पर तय किया गया. इसके बाद 24 दिसंबर को उन्होंने पटना जाकर निगरानी विभाग में शिकायत दर्ज कराई. वहीं मामले में राज्य कर संयुक्त आयुक्त प्रवीण कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि वे 23 दिसंबर से अवकाश पर हैं और शिकायतकर्ता को वे जानते तक नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चतुर्थवर्गीय कर्मी द्वारा उन पर लगाया गया आरोप पूरी तरह झूठा और निराधार है. हालांकि उन्होंने चतुर्थवर्गीय कर्मी के पकड़े जाने की सूचना मिलने की बात स्वीकार की. फिलहाल निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा मामले की गहन जांच की जा रही है. चतुर्थवर्गीय कर्मी के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जायेगी. इस घटना के बाद राज्य कर विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गये हैं. फोटो – सहरसा 25 – निगरानी की गिरफ्त में चतुर्थवर्गीय कर्मी.
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