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राज्य की सेवाओं में बिहार के मूल वासी को ही आरक्षण, मंत्री बोले- सामान्य वर्ग की महिलाओं के साथ नहीं होगा भेदभाव

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार मूल की गैर आरक्षित वर्ग की महिलाओं के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा. राज्य सरकार बिहार की महिलाओं के हित में प्रावधान करने पर विचार कर रही है जिससे कि मेधा के आधार पर चयनित होने पर किसी के साथ भेदभाव न हो सके. इसमें कुछ समय लग सकता है.

पटना. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि बिहार मूल की गैर आरक्षित वर्ग की महिलाओं के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा. राज्य सरकार बिहार की महिलाओं के हित में प्रावधान करने पर विचार कर रही है जिससे कि मेधा के आधार पर चयनित होने पर किसी के साथ भेदभाव न हो सके. इसमें कुछ समय लग सकता है.

उन्होंने बताया कि राज्य में स्थापित नीति के तहत राज्य की सेवाओं में राज्य के मूल वासी को ही आरक्षण देय है. ग्रामीण कार्य मंत्री गुरुवार को आनंद शंकर सिंह सहित अन्य सदस्यों को ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब दे रहे थे. विधानसभा में आनंद शंकर सिंह सहित अन्य सदस्यों ने प्रश्न किया कि सरकारी सेवाओं में दिये गये 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण में 17.5 प्रतिशत सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए और 17.5 प्रतिशत आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए प्रावधान है.

आरक्षित वर्ग की रिक्ति 60 प्रतिशत हो चुकी है

बिहार अधिनियम-2, 2019 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान किये जाने के कारण आरक्षित वर्ग की रिक्ति 60 प्रतिशत हो चुकी है. इसके विरुद्ध मात्र राज्य के मूल निवासी अभ्यर्थी ही चयनित हो सकता है. उन्होंने बताया कि शेष 40 प्रतिशत की रिक्ति को गैर आरक्षित वर्ग की रिक्ति कहा जाता है. इसे ओपेन मेरिट कटेगरी के रिक्ति भी कहा जाता है.

क्षैतिज आरक्षण मेधा के आधार पर राज्य एवं राज्य के बाहर की महिलाओं के लिए ओपेन रखा गया है जिसके तहत सिर्फ महिलाओं का ही चयन हो सकता है. इसमें राज्य और राज्य की बाहर की महिलाओं का ही चयनित हो सकती है. मेधा के आधार पर चयन की इस प्रक्रिया में राज्य की गैर आरक्षित वर्ग की महिलाओं के साथ भेदभाव का औचित्य नहीं है.

सामान्य वर्ग की महिलाओं की भागीदारी कम

आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए जो आरक्षण है वह बिहार राज्य की महिलाओं तक सीमित है, जबकि सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए जो आरक्षण का निर्धारण निर्धारित है वह पूरे देश की महिलाओं के लिए खुला है. इस कारण सामान्य वर्ग की महिलाओं की भागीदारी राज्य सेवाओं में समुचित रूप से नहीं हो रही है. इसके कारण दूसरे राज्य की महिलाएं बिहार राज्य की विभिन्न सेवाओं में चयनित हो रही हैं.

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सरकार का पक्ष रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण में गैर आरक्षित वर्ग के अधीन महिलाओं का क्षैतिज आरक्षण 17.50 प्रतिशत है, जबकि आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण 16.45 प्रतिशत है. यह आरक्षण पूर्व से प्रावधानित पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए किये गये तीन प्रतिशत ऊर्ध्वाधर आरक्षण के अतिरिक्त है.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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