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पटना के इंजीनियर ने लॉकडाउन को बनाया अवसर, बनाया 3D प्रिंटेड मास्क, …जानें कैसे है N-95 से बेहतर, कीमत मात्र 60-70 रुपये

पटना से अनिकेत त्रिवेदी की रिपोर्ट : पटना के घोसवरी प्रखंड के मूल निवासी और महाराष्ट्र के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ानेवाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नितीश सिन्हा ने एक थ्रीडी प्रिंटेड मास्क तैयार किया है. लॉकडाउन में फंसे इस इंजीनियर ने कॉलेज के लैब में ही एक ऐसा मास्क तैयार किया है, जो बाजार में उपलब्ध एन-95 मास्क से कई मामलों में बेहतर, टिकाऊ और सस्ता है. मात्र 60 से 70 रुपये की लागत से तैयार मास्क हवा में मौजूद 0.3 माइक्रोन तक पार्ट छांट कर अलग कर सकता है. इस मास्क को हाई पार्टिकुलेट इफिसिएन्सी एयर यानी हेपा मैटेरियल से तैयार किया गया है. इस कारण मास्क री-यूजेबल और इसके फिल्टर पार्ट को दोबारा बदलने की भी सुविधा वाला है.

पटना से अनिकेत त्रिवेदी की रिपोर्ट : पटना के घोसवरी प्रखंड के मूल निवासी और महाराष्ट्र के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ानेवाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नितीश सिन्हा ने एक थ्रीडी प्रिंटेड मास्क तैयार किया है. लॉकडाउन में फंसे इस इंजीनियर ने कॉलेज के लैब में ही एक ऐसा मास्क तैयार किया है, जो बाजार में उपलब्ध एन-95 मास्क से कई मामलों में बेहतर, टिकाऊ और सस्ता है. मात्र 60 से 70 रुपये की लागत से तैयार मास्क हवा में मौजूद 0.3 माइक्रोन तक पार्ट छांट कर अलग कर सकता है. इस मास्क को हाई पार्टिकुलेट इफिसिएन्सी एयर यानी हेपा मैटेरियल से तैयार किया गया है. इस कारण मास्क री-यूजेबल और इसके फिल्टर पार्ट को दोबारा बदलने की भी सुविधा वाला है. अब मास्क बनानेवाले इस इंजीनियर को इस बात का इंतजार है कि केंद्र या राज्य सरकार की ओर से उनके प्रयोग को देखे. वहीं, कोई कंपनी इसे बड़े पैमाने पर बनाने और बाजार में उपलब्ध कराने का काम करे.

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पटना के इंजीनियर ने लॉकडाउन को बनाया अवसर, बनाया 3d प्रिंटेड मास्क,... जानें कैसे है n-95 से बेहतर, कीमत मात्र 60-70 रुपये 2
लॉकडाउन में दूसरे राज्य में फंसने पर समय को अवसर में बदला

डॉ नीतीश सिन्हा ने आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की है. इसके बाद वीएनआइटी नागपुर से एमटेक और पीएचडी की डिग्री पूरी की है. प्रभात खबर ने उनसे बात की. उन्होंने बताया कि जलगांव के जीएच राइसोनी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में सहायक प्रोफेसर के पद पर काम करते हैं. अकेले होने के कारण वो हॉस्टल में ही रहते है. लॉकडाउन के बाद वे भी महाराष्ट्र में फंस गये हैं. उन्होंने बताया कि अब ऐसे में खाली समय में उन्होंने देश और समाज के लिए कुछ करने के विचार से मास्क बनाने का काम शुरू किया. लगभग 20-25 दिन की मेहनत के बाद उन्होंने मास्क का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जो बेहतर होने के साथ लगभग छह माह से अधिक समय तक चलनेवाला भी है.

बिहार सरकार को लिखेंगे पत्र

उन्होंने बताया कि कोविड-19 का प्रकोप इतनी जल्दी जानेवाला नहीं है. ऐसे में लोगों को लंबे समय तक मास्क की जरूरत होगी. अगर बिहार सरकार इसे अपने तरह से अपना कर उनके मास्क का उत्पाद करती है, तो यह मेरे लिए काफी अच्छा रहेगा और राज्य के लोगों को इससे लाभ मिलेगा. इसके लिए वे बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र भी लिखनेवाले हैं.

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