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कोरोना का खौफ : अंतिम यात्रा में भी नहीं मिल पा रहा परिजनों का साथ

कोराेना वायरस के भय और लॉक डाउन की वजह से दुनिया छोड़ चुके लोगों को अंतिम यात्रा में भी अपने नाते-रिश्तेदारों का साथ नहीं मिल पा रहा. लॉक डाउन के दौरान जमावड़े पर प्रतिबंध लगे होने की वजह से इक्के-दुक्के लोग ही शव लेकर अंतिम संस्कार को पहुंच पा रहे हैं.

पटना : कोराेना वायरस के भय और लॉक डाउन की वजह से दुनिया छोड़ चुके लोगों को अंतिम यात्रा में भी अपने नाते-रिश्तेदारों का साथ नहीं मिल पा रहा. लॉक डाउन के दौरान जमावड़े पर प्रतिबंध लगे होने की वजह से इक्के-दुक्के लोग ही शव लेकर अंतिम संस्कार को पहुंच पा रहे हैं. बांस घाट में सामान्य दिनों की अपेक्षा शव (डेड बॉडी) कम पहुंच रहा है. जहां अमूमन आठ से दस शव को लेकर लोग पहुंचते थे. उसकी संख्या अधिकतम दो से तीन हो गयी है. इसकी वजह है कि कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉक डाउन से दूर-दराज से लोग शव को लेकर नहीं आ रहे हैं. जो इक्का-दुक्का शव का आना हो रहा है, उनके साथ अधिक से अधिक 10 से 12 लोग पहुंच रहे हैं. जबकि दूर दराज से आनेवाले ट्रैक्टरों, छोटी गाड़ियों में भर कर आते थे. आसपास के लोग बड़ी संख्या में मंजिल के साथ आते थे. अभी उन लोगों की संख्या भी कम हो गयी है.

पटना के बांस घाट पर रहनेवाले लोगों ने बताया कि शव लेकर आनेवाले तो सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते हैं. सभी लोग एक ही साथ रहते हैं, लेकिन लोगों की संख्या कम होने से भीड़ नहीं जुट रही है. लोगों के मन में भय बना हुआ है. अधिकांश शव का दाह संस्कार विद्युत शवदाह गृह में हो रहा है. इसमें अधिक समय भी नहीं लगता है. लोगों को परेशानी भी कम होती है. वहीं, लकड़ी लेकर दाह संस्कार करने का काम नहीं हो रहा है. बांस घाट पर दुकान सजा कर बैठे दुकानदारों ने बताया कि इधर कुछ दिनों से दुकानदारी भी ठप है. पहले की अपेक्षा लोग शव को लेकर कम पहुंच रहे हैं. दूर-दराज से आनेवाले यहां चाय, नाश्ता आदि करते हैं. मंजिल के साथ आनेवाले को खिलाने की व्यवस्था की जाती है. लॉक डाउन होने से आसपास की सभी दुकानें बंद है. इस वजह से दूर-दराज सहित आसपास से भी लोग नहीं पहुंच रहे हैं.

गौरतलब है कि बिहार में कोरोना पॉजीटिव मरीजों की संख्या बढ़ कर 11 हो गयी है, राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है. राजधानी पटना में संदिग्धों की वायरोलॉजी जांच कराने के साथ ही प्रशासन उनके संपर्क में रहने वाले लोगों की भी निगरानी कर रहा है. जिले में अब तक 3000 से अधिक ऐसे लोग चिह्नित किये गये हैं, जो या तो विदेशों से लौटे हैं या फिर उनके संपर्क में आये हैं.

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