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बिहार में गर्मी बढ़ते ही भूजल की निगरानी के लिए जिलों को किया गया अलर्ट, गांव में बनेगी महिलाओं की टीम

विभाग के मुताबिक मार्च में ही सभी जिलों में ग्राउंड वाटर का स्तर गिरने लगा है. कुछ एक जिलों में पांच फुट तक भी भूजल का स्तर गिरा है. वहीं, औरंगाबाद, जहानाबाद, जमुई, गया, नालंदा में चापाकल के रिपेरिंग का काम शुरू कर दिया गया है.

बिहार में गर्मी बढ़ते ही पीएचइइडी ने भू- जल की निगरानी बढ़ाने के लिए जिलों को अलर्ट किया है. हर साल मार्च से जुलाई तक नौ सौ से अधिक पंचायतों में भूजल का स्तर तेजी से गिरता है. इन पंचायतों में पूर्व के वर्षों में किये गये कार्य को माइक्रो लेबल पर 20 मार्च तक पूरा करने का दिशा- निर्देश जिलों को भेजा गया है, ताकि जिन जिलों में पूर्व के वर्षों में पानी का संकट हो चुका है या भूजल के स्तर में तेजी से गिरावट हुई है. उन सभी इलाकों में टीम भी तैयार करने का निर्देश दिया गया है. विभागीय समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया है कि भूजल की रिपोर्ट हर 15 दिनों पर नियमित आये. इसमें लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई करेंगे.

इन जिलों में टीम तैनात, विशेष रहेगी निगरानी

विभाग के मुताबिक मार्च में ही सभी जिलों में ग्राउंड वाटर का स्तर गिरने लगा है. कुछ एक जिलों में पांच फुट तक भी भूजल का स्तर गिरा है. वहीं, औरंगाबाद, जहानाबाद, जमुई, गया, नालंदा में चापाकल के रिपेरिंग का काम शुरू कर दिया गया है. वैशाली, सारण, समस्तीपुर और दरभंगा जिला भी पेयजल संकट वाले जिलों में शामिल हो गया है. इस कारण से इन इलाकों में भी निगरानी बढ़ायी गयी है.

गांव स्तर पर भी बनेगा वाटसएस ग्रुप, रहेगी टीम

गांव स्तर पर वाटसएप ग्रुप बनाने का निर्देश विभाग ने सभी वरीय अधिकारियों को दिया है. इन अधिकारियों ने इस ग्रुप का संचालन करने से पूर्व गांव की महिलाओं को जोड़ने का निर्णय लिया है. यह महिलाएं किसी -ना -किसी तरह से सामाजिक कार्यों में सहयोग दे रही होंगी. येगांव के लोगों का सहयोग करेंगी. खराब चापाकलों को समय पर ठीक कराने की जिम्मेदारी भी इनके ऊपर रहेगी.

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चापाकलों की मरम्मत का काम पूरा

विभाग के मुताबिक राज्य में साढ़े आठ सौ चापाकल हैं. इनकी मरम्मत का काम पूरा कर लिया गया है, जो चापाकल खराब हैं और उनको बनाने में परेशानी है. वैसे चापाकलों को हटा कर नये चापाकल को लगाया गया है, ताकि गर्मी में पानी संकट नहीं हो. लोगों को पीने का पानी मिलता रहा.

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