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रोजगार देने में बिहार अव्वल, कम हो रहा पलायन, इस साल मिलेगी इतनी लाख सरकारी नौकरी

Bihar News: बिहार में 2020 से लेकर अब तक करीब 7.24 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां मिल चुकी हैं. इतने कम समय में इतनी ज्यादा सरकारी नौकरी दे कर बिहार ने देश भर में अपनी पहचान बनाई है. हाल यह है कि अब दूसरे राज्यों के हजारों युवा बिहार में सरकारी नौकरी कर रहे हैं. पूरे देश के युवा अब सरकारी नौकरी के लिए बिहार की तरफ देख रहे हैं.

Bihar News: पटना. सरकारी नौकरी के मामले में पूरे देश की नजर आज बिहार पर है. रोजगार देने में बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकारी नौकरी देने के मामले में तो बिहार देश में अव्वल बन गया है. बिहार में अब सरकारी नौकरी और रोजगार देने के लक्ष्य को बढ़ा कर 12 लाख सरकारी नौकरी एवं 38 लाख रोजगार के अन्य अवसर निर्धारित कर दिया गया है. पूर्व में इस योजना के तहत 10 लाख सरकारी नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का लक्ष्य सीएम नीतीश कुमार ने रखा था, जिसे अब उन्होंने बढ़ा दिया है. इस प्रकार अगले वर्ष तक कुल 50 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे.

हर साल पांच करोड़ लोग करते थे पलायन

सरकार के इस प्रयास से पलायन में तेजी से कमी आई है. बिहार से दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए अब कम लोग जा रहे हैं. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार कुछ वर्ष पहले तक बिहार के 5 करोड़ से अधिक लोग रोजगार के लिए पलायन करते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा कम हो रहा है. बिहार में रोजगार के नए अवसर लगातार मिलने के कारण पलायन में कमी देखी जा रही है. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में अब लोग वापस बिहार लौट रहे हैं. ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड आंकड़ों के अनुसार अब 2.9 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन किए हुए हैं.

अप्रवासी बिहारियों का जातिगत आंकड़ा

सबसे अधिक सवर्ण लोग रहे हैं अप्रवासी

पलायन करने वालों में सवर्ण समुदाय में सबसे अधिक ब्राह्मण समुदाय से 7.18 फीसदी लोग बिहार के बाहर रोजी-रोजगार कर रहे हैं. भूमिहार में 5.19 फीसदी, राजपूत 5.94, कायस्थ 5.64, शेख 4.91, पठान 3.57 और सैयद में 4.10 फीसदी लोग बाहर रह रहे हैं. पिछड़ा वर्ग में यादव में 2.67 फीसदी, कुशवाहा 3.35, कुर्मी 4.69 फीसदी, बनिया 2.84, सूरजापुरी 6.14 व भाट 6.58 फीसदी बिहार से हैं। अत्यंत पिछड़ा वर्ग में मल्लाह में 3.40 फीसदी, कानू में 3.31, धानुक 4.07, नोनिया 3.88, चंद्रवंशी 3.69, नाई 3.27, बढ़ई 3.53, कुम्हार 3.38 तो मोमिन में 4.26 फीसदी और केवट में 4.13 फीसदी लोग बिहार के बाहर रोजी-रोजगार के लिए गए हैं.

अनुसूचित जाति के लोग भी बड़ी संख्या में रह रहे बाहर

अनुसूचित जाति में दुसाध 2.47 फीसदी, मोची में 2.81 फीसदी, मुसहर में 2.20 फीसदी, पान में 2.86 फीसदी, पासी में 1.41 फीसदी, भूईया में 1.73, चौपाल में 3.38, रजवार में 2.46 फीसदी आबादी बिहार के बाहर है. अनुसूचित जनजाति में संथाल में 1.30, गोंडगों में 5.12, खरवार में 3.09 और लोहरा में 2.76 फीसदी आबादी बिहार से बाहर है.

उद्यमशीलता बनी बिहार की नयी पहचान

आज उद्यमशीलता में भी बिहार के युवा तेजी से अपनी पहचान बना रहे हैं. राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने अनेकों कदम उठाए हैं. प्रगति यात्रा के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास कार्यों और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए करीब 50 हजार करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है, जिससे 50 लाख से अधिक रोजगार सृजन होने की बात कही जा रही है. सरकार विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं से युवाओं को रोजगार से जोड़ रही है, जिसमें कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्योगों का विस्तार और सरकारी सेवाओं में नियुक्तियां शामिल है. राज्य सरकार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए आर्थिक सहायता भी दे रही है. समाज के विभिन्न वर्गों के युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाईं जा रही हैं.

कृषि के क्षेत्र में विकास से ठहरा पलायन

कृषि के क्षेत्र में विकास से पलायन रोकने में बड़ी मदद मिली है. कृषि से जुड़ी अनेकों सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर बिहार के किसान समृद्ध हो रहे हैं. इसके साथ ही राज्य में आधारभूत संरचनाओं का तेजी से विकास होने के कारण विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है. सरकार महिलाओं को सरकारी सेवाओं में अधिक से अधिक जोड़कर सामाजिक विकास में भी अपना योगदान दे रही है. जीविका से आज राज्य की लाखों महिलाएं जुड़ कर रोजगार पा रही हैं. राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है. इसका ही परिणाम है कि आज पुलिस में सबसे ज्यादा महिलाएं बिहार में ही हैं.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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