Waqf Bill: बिहार की राजनीति में वक्फ बिल संशोधन पर जेडीयू के समर्थन के बाद घमासान मच गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में इस फैसले को लेकर असंतोष की लहर दौड़ गई है. नाराजगी इस कदर बढ़ गई कि अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चार नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
चार नेताओं ने छोड़ी पार्टी
वक्फ बिल पर समर्थन देने से नाराज़ होकर जेडीयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव सिए मो. तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर के पार्टी सदस्य मो. दिलशान राईन और पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी से नाता तोड़ लिया. इन नेताओं ने आरोप लगाया कि जेडीयू ने मुस्लिम समुदाय का भरोसा तोड़ा है और यह कदम सेक्युलर छवि के खिलाफ है.
पार्टी का जवाब- इनका जेडीयू से कोई संबंध नहीं
जेडीयू ने इन इस्तीफों को कोई खास तवज्जो नहीं दी और कहा कि इन नेताओं का पार्टी से कोई आधिकारिक संबंध नहीं है. जदयू की जिला अध्यक्ष मंजू देवी ने स्पष्ट किया कि कासिम अंसारी पहले ही पार्टी से निष्कासित हो चुके हैं और वे जेडीयू के सदस्य नहीं हैं. साथ ही, यह भी कहा गया कि उन्होंने कभी जेडीयू की टिकट पर चुनाव नहीं लड़ा.
विरोध में पूर्व MLC भी शामिल
इस मुद्दे पर पूर्व MLC मौलाना गुलाम रसूल बलियावी और जेडीयू MLC गुलाम गौस ने भी विरोध दर्ज किया है. उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की जमीन छीनने की कोशिश की जा रही है, जिससे मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए चल रही योजनाएं प्रभावित होंगी.
कानूनी लड़ाई की तैयारी
वक्फ बिल के खिलाफ कानूनी लड़ाई की तैयारी भी शुरू हो गई है. एदारा-ए-शरिया के अध्यक्ष और पूर्व MLC मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि देशभर के हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर लीगल सेल की बैठक होगी और इस फैसले को चुनौती दी जाएगी.
क्या है पूरा विवाद?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर जेडीयू ने लोकसभा में केंद्र सरकार का समर्थन किया था. इस फैसले से पार्टी के कई मुस्लिम नेता नाराज़ हो गए, क्योंकि इसे मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बताया जा रहा है. वहीं, जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व ने इस विवाद को ज्यादा महत्व न देते हुए कहा कि यह फैसला पार्टी के सामूहिक सोच के तहत लिया गया है.
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