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नगर आयुक्त नकारा, इनका वेतन रोक लो

पटना: मेयर अफजल इमाम और नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के बीच चल रहा विवाद गुरुवार को चरम पर पहुंच गया. नगर निगम की स्थायी समिति ने नगर आयुक्त के वेतन पर रोक लगा दी. कहा गया कि जब तक लंबित योजनाओं को पूरा नहीं करेंगे, तब तक उनके वेतन पर रोक लगी रहेगी. स्थायी समिति […]

पटना: मेयर अफजल इमाम और नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के बीच चल रहा विवाद गुरुवार को चरम पर पहुंच गया. नगर निगम की स्थायी समिति ने नगर आयुक्त के वेतन पर रोक लगा दी. कहा गया कि जब तक लंबित योजनाओं को पूरा नहीं करेंगे, तब तक उनके वेतन पर रोक लगी रहेगी.

स्थायी समिति की बैठक की कार्यवाही शुरू होते ही मेयर ने नगर आयुक्त से पिछली बैठक की प्रोसेडिंग मांगी. नगर आयुक्त ने कहा कि प्रोसेडिंग तैयार नहीं है. मेयर ने कहा, स्थायी समिति की बैठक 29 नवंबर को निर्धारित की गयी थी. तब प्रोसेडिंग की वजह से ही बैठक की तिथि आगे बढ़ायी गयी. इसके बावजूद क्यों नहीं तैयार की गयी? इसमें आपका व्यक्तिगत स्वार्थ है. इसके बाद वाद-विवाद शुरू हो गया. सभी सदस्यों ने नगर आयुक्त पर आरोप लगाया कि ये जब से आये हैं, जनहित की कोई योजना पूरी नहीं की है. इसके बाद उनके वेतन पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया.

मंजूरी के बाद भी काम नहीं : मेयर ने कहा कि स्थायी समिति से स्लम बस्ती विकास योजना, चौक -चौराहों पर यूरिनल बनाने की योजना, मौर्यालोक परिसर में शौचालयों को दुरुस्त करना, लाइटिंग व्यवस्था, वार्डो की पांच, दस और 15 लाख की योजना सात-आठ माह से लंबित हैं. इन सभी योजनाओं को स्थायी समिति व निगम बोर्ड से स्वीकृति मिल गयी है. इन लंबित योजनाओं की प्रत्येक बैठक में समीक्षा की जाती है, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है. मौर्यालोक की दुकानों से लाखों रुपये रखरखाव के नाम पर वसूल किये जाते हैं, लेकिन सुविधा कुछ नहीं दे रहे हैं. शौचालय को दुरुस्त करने का निर्णय सात माह पहले लिया गया, लेकिन अब तक एक भी शौचालय ठीक नहीं किया जा सका है.

एक भी संलेख को मंजूरी नहीं : बैठक में एक भी संलेख की मंजूरी नहीं दी गयी. स्थायी समिति सदस्यों ने कहा कि पिछली बैठक की प्रोसेडिंग संपुष्ट ही नहीं हुई, तो आगे के संलेख को मंजूरी कैसे दी जायेगी. पिछली बैठक में नगर आयुक्त ने व्यक्तिगत निर्णय लेते हुए एक अंगरेजी अखबार को विज्ञापन लगाने की स्वीकृति दी थी. इस निर्णय को स्थायी समिति द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया. यही वजह है कि नगर आयुक्त प्रोसेडिंग अपने पास रखा हुए हैं. जब तक प्रोसेडिंग संपुष्ट नहीं होगी, तब तक बैठक में लिये गये निर्णय क्रियान्वित नहीं होंगे. बैठक में यूरिनल का नक्शा, पेट्रोल पंप खोलने की योजना, विद्युत शवदाह गृह की मरम्मती योजना, शव वाहन खरीदने की योजना सहित कई योजना का संलेख लाया गया था, लेकिन एक को भी मंजूरी नहीं दी गयी.

संलेख की मंजूरी नहीं मिली, तो जिम्मेवार कौन : नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने कहा कि साढ़े तीन बजे से बैठक तय की गयी थी और निर्धारित समय पर उपस्थिति हो गया. बैठक में महत्वपूर्ण संलेख विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया गया. इसमें एक संलेख की मंजूरी नहीं मिली, तो काम नगर आयुक्त नहीं कर रहे है या मेयर नहीं काम कर रहे है. प्रोसेडिंग तैयार करने वाले सचिवालय लिपिक है और मेयर के पीए भी है. उन्होंने आवेदन दिया कि वीडियो देखकर प्रोसेडिंग बनाने में परेशानी होती है और तीन दिनों की छुट्टी में चला गया है. अगर प्रोसेडिंग तैयार नहीं हुआ, तो स्थायी समिति लिपिक को निलंबित करने का निर्णय क्यों नहीं लिया. बैठक के पहले आधे घंटा प्रस्ताव पर चर्चा नहीं की गयी, सिर्फ उन चीजों पर चर्चा किया गया जिसका कोई मतलब नहीं है. यह चर्चा प्रोसेडिंग में दर्ज भी नहीं किया जायेगा. जहां तक नगर आयुक्त की वेतन रोकने की बात है, तो यह अधिकार स्थायी समिति में है या नहीं. इस अधिकार को जानने के बाद ही निर्णय लें, तो संवैधानिक की गरिमा बना रहे.

बैठक की समय पर भी विवाद
बैठक डेढ़ बजे हो या साढ़े तीन बजे, इसको लेकर भी नगर आयुक्त व मेयर के बीच विवाद था. मेयर ने बैठक का समय डेढ़ बजे निर्धारित किया था, लेकिन नगर आयुक्त ने इस समय को लंच आवर का हवाला देते हुए साढ़े तीन बजे निर्धारित किया. मेयर, डिप्टी मेयर सहित सभी स्थायी समिति सदस्य अपने निर्धारित समय डेढ़ बजे पहुंच गये थे, लेकिन नगर आयुक्त अपने निर्धारित समय साढ़े तीन बजे के बाद पहुंचे. इसके बाद बैठक की कार्यवाही शुरू की गयी.

पास-पास, पर बात नहीं
मौर्यालोक के पीआरडीए कार्यालय में नगर आयुक्त और मेयर के कार्यालय आमने-सामने हैं. सिर्फ पांच फुट का फासला है. पर, उनके बीच बातचीत तक नहीं होती. इसका पता उस समय लगा, जब स्थायीसमिति की बैठक की तारीख तय करने के लिए भी संचिका दोनों कार्यालयों का चक्कर लगाती रही.

आइएएस बोले, वेतन रोकने का अधिकार नहीं
पटना: पटना नगर निगम के स्थायी कमेटी की बैठक में निगम आयुक्त कुलदीप नारायण का वेतन भुगतान रोकने संबंधी प्रस्ताव पारित किये जाने को लेकर आइएएस अधिकारियों में खलबली मची हुई है. अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय असंवैधानिक है. ऐसा प्रस्ताव पारित करने का अधिकार मेयर को नहीं है. अगर निगम आयुक्त के कार्यकलाप से असंतुष्ट हैं, तो वह सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा कर सकते हैं, उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चला सकते हैं, लेकिन वेतन रोकने का प्रस्ताव पारित करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

पटना पहुंचने के बाद निर्णय: बाला प्रसाद
आइएएस एसोसिएशन बिहार इकाई के अध्यक्ष व पटना प्रमंडल के आयुक्त इएसएलएन बाला प्रसाद वेतन रोकने का प्रस्ताव पारित किये जाने के संबंध में कहा कि ऐसा तो नहीं हो सकता. फिलहाल वह पटना से बाहर हैं. मामले की जानकारी लेने के बाद वह बातचीत कर निर्णय लेंगे.

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