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बिहार विधानसभा चुनाव : वामदलों में 235 सीटों पर सहमति

पटना : बिहार में छह वामदल मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. वामदलों में सीटों को लेकर स्थानीय एसके मेमोरियल सभागार में आयोजित कन्वेंशन में सोमवार को सहमति बन गयी और अनौपचारिक तौर इसका ऐलान भी कर दिया गया. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में वाम दलों में 235 सीटों पर सहमति बन गयी है. […]

पटना : बिहार में छह वामदल मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. वामदलों में सीटों को लेकर स्थानीय एसके मेमोरियल सभागार में आयोजित कन्वेंशन में सोमवार को सहमति बन गयी और अनौपचारिक तौर इसका ऐलान भी कर दिया गया. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में वाम दलों में 235 सीटों पर सहमति बन गयी है. समझौते में भाकपा और भाकपा माले 85-85 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. जबकि चालीस सीटों पर माकपा के उम्मीदवार होंगे. बाकी के 20 सीट पर एसयूसीआइ, फारवर्ड ब्लॉक व आरएसपी चुनाव लड़ेगी.

आठ सीट पर वामदल आपसी सहमति से उम्मीदवार तय करेंगे. सीटों पर तालमेल की औपचारिक घोषणा वामदलों द्वारा जल्द ही कर दी जायेगी. भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कंनेशन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में इसका खुलासा किया. कन्वेंशन में भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, भाकपा के पूर्व महासचिव एबी वर्द्धन, माकपा के महासचिव सीताराम येचूरी, एसयूसीआइ की छाया मुखर्जी, फारवर्ड ब्लाक के देवब्रत विश्वास और आरएसपी के अवनी राय मौजूद थे. सभी छह दलों ने एनडीए व महागंठबंधन को परास्त कर विधानसभा में वामपंथ को मजबूत बनाने की अपील की.
एसयूसीआइ की केंद्रीय कमेटी सदस्य छाया मुखर्जी ने कहा कि देश का समस्त संसाधन पूंजीपतियों के हिस्से में जा रहा है. देश में दूसरी ओर गरीबी बढ़ रही है. अखिल हिंद फारवर्ड ब्लॉक के महासचिव देवव्रत विश्वास ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद एक मंच पर पहुंचे हैं.
कंवेंशन में पेश प्रस्ताव को जमीनी स्तर पर पहुंचाना है. आरएसपी के महासचिव अवनी राय ने कहा कि यह मंच गरीबों की राजनीतिक दावेदारी मजबूती से पेश कर रही है. देश के भीतर के पूंजीवाद व वैश्विक पूंजीवाद के खिलाफ संघर्ष की वामपंथ की सार्थक कोशिश है. कंवेंशन में माले के धीरेंद्र झा ने प्रस्ताव पढ़ा व माकपा के सर्वोदय शर्मा व भाकपा के राम बाबू कुमार ने समर्थन किया.
एबी वर्द्धन बोले, एनडीए व महागंठबंधन ने कुछ नहीं किया
भाकपा के पूर्व महासचिव एबी वर्द्धन ने कहा कि एनडीए व महागंठबंधन अवसरवादी गंठबंधन है. बिहार की जनता विगत 25 साल से बिहार सरकार व गंठबंधन को देख चुकी है. बिहार के लिए कुछ नहीं किया.
विधानसभा चुनाव में दोनों गंठबंधन को परास्त करते हुए वामदल को मजबूत बनाना है. उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर वामदलों में सहमति हो गयी है. इसकी घोषणा शीघ्र कर दी जायेगी. उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि बिहार की राजनीति में केंद्र में एक बार फिर आम जन को लाया जाये. इसके जरिये सामंती सांप्रदायिक व कारपोरेट फासीवादी ताकतों के मंसूबे को चकनाचूर किया जा सकता है.
बिहार के सभी वामपंथी दलों ने संयुक्त वामपंथी ब्लॉक बना कर निर्णायक संघर्ष करने के साथ-साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया है. जनता व जन मुद्दों की राजनीति को केंद्र में स्थापित कर बिहार को पिछड़ेपन, गरीबी, भूखे व कुपोषण आदि से निजात दिलायी जा सकती है. दो सितंबर को पूरे देश में 17 करोड़ मेहनतकश मजदूरों ने हड़ताल में शामिल होकर केंद्र को औकात बता दी है.
दिल्ली की तरह बिहार में भाजपा का होगा हश्र : सीताराम येचूरी
माकपा के महासचिव सीताराम येचूरी ने कहा कि भाजपा देश को सर्वनाश की ओर ले जा रही है. इससे देश की एकता व अखंडता को खतरा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने जो जनता से वादे किये थे उसका जनता हिसाब मांग रही है. वे अपना रिपोर्ट कार्ड आरएसएस को देने पहुंच रहे हैं.
पीएम को इस बात का घमंड हो गया है कि उनके घोड़े को कोई रोक नहीं सकता. राम के नाम पर वे वोट बटोर लेते हैं , लेकिन रामायण के अंतिम खंड को भूल जाते हैं. बिहार में भाजपा को जवाब देना है. वामदल उनके घोड़े को रोकेगा. उन्होंने कहा कि एक ओर दु:शासन की राजनीति व दूसरी ओर बिहार में महागंठबंधन के सिंहासन की राजनीति चल रही है. जो किसी न किसी तिकड़म के जरिये सत्ता पाना चाहती है. देश में संपत्ति की कमी नहीं है.
लेकिन सरकार संसाधन की कमी का रोना रोकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार नहीं दे रही है. संसाधन का इस्तेमाल आम जनता के लिए कर सके इसके लिए वैकल्पक नीतियों की जरूरत है. जो वामपंथी दे सकते हैं. देश की संपत्ति पर चंद लोगों का कब्जा है. बिहार में जो वामपंथी दलों की एकता बनी है , वह बिहार ही नहीं पूरे देश के लिए एक वैकल्पक रास्ता देगी. विधान सभा चुनाव में भाजपा की स्थिति दिल्ली की तरह करना है. ऑटो से उतार कर साइकिल पर बिठाना है. दिल्ली में भाजपा के तीन विधायक जीते हैं.
सामाजिक न्याय व सुशासन की सरकार में गरीबों को नहीं मिला न्याय: दीपंकर भट्‌टाचार्य
माले के महासचिव दीपंकर भट‌्टाचार्य ने कहा कि वामपंथी दलों की एकता का लंबे समय से इंतजार था. मुद्दे को लेकर वामदल मिलते रहे हैं. वामदलों की एकता पूरे देश के वामपंथियों को नयी दिशा देगी. उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव जुमलों का रहा, लेकिन 2015 आंदोलन का साल है.
वामपंथियों के आंदोलन के कारण भूमि अधिग्रहण अध्यादेश कानून वापस लेना पड़ा. बिहार के चुनाव में वामपंथी दलों की कोशिश यह है कि जनांदोलन के मुद्दे पर चुनाव हो. बिहार में भाजपा को रोकने के नाम पर बना महागंठबंधन भाजपा को सत्ता में लाने के लिए जिम्मेवार है. महागंठबंधन में शामिल कांग्रेस ने केंद्र में दस साल में महंगाई व भ्रष्टाचार का कीर्तिमान स्थापित कर भाजपा के हाथ में सत्ता सौंप दी.
बिहार में लालू प्रसाद के सामाजिक न्याय व नीतीश कुमार के सुशासन की सरकार ने गरीबों, दलितों व अल्पसंख्यकों को न्याय नहीं दिया. नीतीश कुमार ने अमीर दास आयोग को भंग कर दिया, जबकि कोबरा पोस्ट ने बहुत कुछ खुलासा किया है. जो पार्टी बिहार में रणवीर सेना को नहीं रो सकी वह भाजपा को रोक नहीं सकती. पिछले 25 साल में महागंठबंधन में शामिल पार्टियां रही, लेकिन भागलपुर के दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिला. बिहार में वामपंथी एकता बनी है. सभी सीट पर चुनाव लड़ेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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