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बर्ड फ्लू से पटना जू में दो और मोरों की मौत, अबतक छह मरे, 15 दिनों तक नही जू खुलने की संभावना नहीं

छह मोरों की मौत के पांच दिन बाद फिर से मौत का सिलसिला शुरू पटना : पांच दिनों तक बिना किसी पशु-पक्षी की मौत के गुजरने के बाद पटना जू में फिर से मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. एक सफेद मोर की शुक्रवार की देर रात मौत हो गयी जबकि एक काला माेर […]

छह मोरों की मौत के पांच दिन बाद फिर से मौत का सिलसिला शुरू
पटना : पांच दिनों तक बिना किसी पशु-पक्षी की मौत के गुजरने के बाद पटना जू में फिर से मौत का सिलसिला शुरू हो गया है. एक सफेद मोर की शुक्रवार की देर रात मौत हो गयी जबकि एक काला माेर (खलीज पीजेंट) शनिवार को दिन में मर गया. सफेद मोर उसी संक्रमणग्रस्त केज में रखे गये आठ मोर में से एक था जिसमें रखे गये छह मोर 16 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच बर्ड फ्लू से मर गये थे.
विदित हो कि घटना में दोनों सफेद मोरों के बचने के बाद उन्हें उस केज से हटा कर अलग रख दिया गया था. चार-पांच दिनों तक जीवित रहने के कारण जू के डॉक्टर और उनकी देखभाल कर रहे पशुपालक उनको संक्रमणमुक्त मान रहे थे, लेकिन मौत से मामला बदल गया. मरने वाले में दूसरा काला मोर था जो संक्रमित केज के बगल वाले केज में रहता था. उसे भी बर्ड फ्लू सामने आने के वहां से हटाकर अलग जगह रखा गया था लेकिन वह भी बच नहीं सका.
स्वास्थ्य सलाहकार समिति ने किया दौरा : दो मोर की मौत के बीच पटना जू की स्वास्थ्य सलाहकार समिति ने शनिवार को जू का दौरा किया. इसमें पशुपालन विभाग के वरीय अधिकारी मौजूद थे. टीम ने छिड़काव कार्य और जू को संक्रमणमुक्त करने की पूरी प्रक्रिया का निरीक्षण किया और इस संबंध में कई उपयोगी सुझाव दिये.
15 दिनों तक जू खुलने की संभावना नहीं
अब तीन दिन की सामान्य संक्रमण अवधि और उसके बाद आठ दिनों के विंडो पीरियड के खत्म होने के बाद ही जू के पक्षियों और कैट व डॉग् प्रजाति के पशुओं के बीट का नमूना संग्रहित किया जायेगा. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही जू के संक्रमणमुक्त होने की पुष्टि हो पायेगी, जिसमें तीन दिन लगता है. ऐसे में अगले 15 दिनों तक पटना जू के खुलने की अब कोई संभावना नहीं हैं और एक जनवरी लोगों को अन्य जगहों व पार्कों में ही मनाना होगा.
और कड़े किये गये बचाव प्रबंध
शुक्रवार की रात और शनिवार दिन में पक्षियों की मौत होने से जू प्रशासन ने अपनी सतर्कता और भी बढ़ा दी है. अब बिना बचाव के पूरे साधन यथा मास्क , ग्लबस आदि लगाये किसी भी कर्मी के जू में प्रवेश पर सख्त रोक लगाने पर विचार किया जा रहा है. मोर केज और संक्रमित हिस्से के आसपास ऐसे प्रबंध पहले से ही लागू थे, अब अन्य हिस्सों में भी इस तरह के प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है. स्थायी कर्मी जिन्हें बर्ड फ़्लू से बचाव के तरीकों का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, उन्हें ही जू में जाने देने पर विचार चल रहा है.
…केज को संक्रमणमुक्त बनाने के लिए फर्मलीन और चूने का छिड़काव शनिवार को बड़े स्तर पर जारी रहा. फुटबाथ के तहत आने जाने वाले वाहनों के चक्के को एरोसोल से धोकर संक्रमणमुक्त करने का काम भी जारी रहा.
– बढ़ जायेगी सैंपल इकट्ठा करने की अवधि स्टैंडर्ड प्रक्रिया के अनुरूप पहली घटना के 15 दिनों बाद 30 दिसंबर को मोर केज के आसपास के पशु-पक्षियों का नमूना लिया जाना था, जिसके निगेटिव आने पर जू के संक्रमणमुक्त होने की पुष्टि होती. लेकिन दो और मोर की मौत से जानवरों के सैंपल लेने की अवधि अपने आप बढ़ गयी.
शुरू किया अध्ययन
इज्जतनगर से आये इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ) के विशेषज्ञों ने भी शनिवार से मामले का अध्ययन शुरू किया. टीम पटना जू में एच5एन1 वायरस के पहुंचने के संभावित तरीके से लेकर फैलाव और उसे संक्रमणमुक्त करने के तरीके पर विचार कर रही है और ऐसे उपाय बतायेगी जिससे आगे इसकी पुनरावृत्ति न हो सके.
लिये 617 सैंपल
बर्ड फ्लू को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग सतर्क है. जानकारी के अनुसार राज्य में कहीं से भी बर्ड फ्लू की नयी सूचना नहीं है. शनिवार को पूर्व मंत्री अशोक चौधरी के पालतू पक्षियों के सीरम को जांच के लिए लिया गया. सोमवार को कोलकाता से इसकी जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की रणनीति तय की जायेगी.
अस्पतालों में अंडे की जगह मिलेगा पनीर
राज्य में बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले अंडा और चिकन को रोक दिया गया है. इसकी जगह मरीजों को पनीर मिलेगा. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि बर्ड फ्लू को देखते हुए यह निर्णय लिया गया. इस संबंध में सभी अस्पतालों के रोगी कल्याण समितियों से कहा गया है कि वे मरीजों को पनीर दें. स्थिति सामान्य हो जाने के बाद फिर से अंडा और चिकन मिलने लगेगा.

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