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बिहार : प्राइवेट स्कूलों की होगी ग्रेडिंग, तय होगी अलग फीस, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश
निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश पटना : राज्य के सभी निजी स्कूलों की राज्य सरकार ग्रेडिंग करेंगी. इसी आधार पर सरकार उन स्कूलों का फीस निर्धारित करेगी. निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य सरकार को एक्ट और मापदंड […]
निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश
पटना : राज्य के सभी निजी स्कूलों की राज्य सरकार ग्रेडिंग करेंगी. इसी आधार पर सरकार उन स्कूलों का फीस निर्धारित करेगी. निजी स्कूलों की मनमानी को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य सरकार को एक्ट और मापदंड तैयार करने का निर्देश दिया था. इसी आधार पर सरकार ने कमेटी गठित कर एक्ट तैयार करवा रही है. एक्ट में सभी निजी स्कूलों की ए, बी, सी अौर डी ग्रेडिंग तय की जायेगी.
यह ग्रेडिंग सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों की होगी. ग्रेड के आधार पर तय की गयी राशि से ज्यादा फीस स्कूल नहीं ले सकेंगे. यह ग्रेडिंग स्कूल की बिल्डिंग, पढ़ाई, मानक के अनुसार एक क्लास में बच्चे, बच्चों के अनुपात में शिक्षक और शिक्षकों की गुणवत्ता को भी ध्यान में दिया जायेगा.
शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो राजधानी समेत अन्य शहरों में भी कई बड़े ग्रुप के स्कूल हैं, ऐसे में वहां के आधारभूत संरचना समेत निर्धारित मानकों को देखा जायेगा. इसमें हो सकता है कि पटना स्थित किसी ग्रुप का स्कूल अपने संसाधनों के कारण ए ग्रेड में आ जाये अौर
दूसरे जिलों में उनका ही स्कूल बी या सी ग्रेड में चला जाये. फिलहाल हर ग्रेडिंग में कितनी फीस निर्धारित की जायेगी, इस पर मंथन जारी है.
बनेगी कमेटी, होगी जांच
निजी स्कूलों की ग्रेडिंग की जांच के लिए जिलावार कमेटी बनेगी. इस कमेटी में जिले के डीएम, डीईओ, डीपीओ, बिहार शिक्षा परियोजना के पदाधिकारी शामिल होंगे. ये मान्यता प्राप्त स्कूलों कीजांच करेंगे और फीस व अन्य शुल्क के आधार पर ग्रेडिंग तय करेंगे.
एनओसी से पहले लेना होगा शपथ
राज्य सरकार नये वित्तीय वर्ष से भी वैसे ही स्कूलों को
एफलिएशन के लिए एनओसी देगी, जो सरकार की ओर से निर्धारित की जाने वाली फीस लेंगे. इसके लिए उन्हें सरकार को शपथ पत्र भी देना होगा. इसका उल्लंघन करने वाले का एनओसी रद्द करते हुए एफलिएशन खत्म करने के लिए अनुशंसा
की जायेगी.
कई स्कूलों में समुचित सुविधाएं नहीं, हर साल बढ़ती है फीस
पटना : राजधानी समेत राज्य भर में हर साल फीस वृद्धि से अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ जाता है. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की है.
इसके लिए विभाग ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है, उसे लेकर अभिभावकों का कहना है कि सुविधाओं के आधार पर स्कूलों की अधिकतम फीस का निर्धारण भले ही किया जाये, लेकिन सरकार की ओर से उसका भौतिक सत्यापन भी किया जाना चाहिए. कारण कि ऐसे कई स्कूल हैं, जो तरह-तरह की सुविधाओं का दावा करते हैं, लेकिन स्थल निरीक्षण किया जाये, तो कई कमियां मिल जायेंगी.
सुरक्षा के मामले में ही देखा जाये, तो कई कमियां निकल जायेंगी.
एसी बसें आवश्यक सुविधा नहीं : स्कूल प्रतिनिधियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विभागीय कमेटी की प्रारंभिक रिपोर्ट में एयर कंडीशन बसों को भी शामिल किया गया है. लेकिन एयर कंडीशन बस छात्रों के लिए आवश्यक सुविधा नहीं है. खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे एयर कंडीशन में ही रहेंगे तो स्वास्थ्य प्रभावित होगा.
अनुभवी शिक्षक होंगे तो फीस अधिक होगी ही
एक स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि प्रशिक्षित व अनुभवी शिक्षकों पर शिक्षा की गुणवत्ता निर्भर करती है. ऐसे शिक्षक होंगे, तो उसके अनुरूप ही भुगतान भी करना पड़ेगा. इसके अलावा बेहतर शिक्षण सामग्री व एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर पर बल दिया जायेगा, तो ऐसे में फीस से समझौता उचित नहीं होगा.
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