13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

नीतीश अच्छा काम कर रहे, अच्छे काम की प्रशंसा की जानी चाहिए : RSS के विचारक राकेश सिन्हा

इन दिनों बिहार प्रवास पर हैं. नेतरहाट से स्कूली शिक्षा प्राप्त करनेवाले सिन्हा बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने सीपीएम पर पीएचडी की है. डाॅ हेडगेवार पर पुस्तक लिखी, जिसे प्रकाशन विभाग ने यूपीए सरकार के दौरान प्रकाशित किया. सिन्हा से राज्य ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश ने संघ के कामकाज, उस पर लग रहे आरोपों […]

इन दिनों बिहार प्रवास पर हैं. नेतरहाट से स्कूली शिक्षा प्राप्त करनेवाले सिन्हा बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने सीपीएम पर पीएचडी की है. डाॅ हेडगेवार पर पुस्तक लिखी, जिसे प्रकाशन विभाग ने यूपीए सरकार के दौरान प्रकाशित किया. सिन्हा से राज्य ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश ने संघ के कामकाज, उस पर लग रहे आरोपों को लेकर बातचीत की. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के अंश.
सवाल : ऐसा कहा जा रहा है कि आजादी की लड़ाई में संघ की कोई भूमिका नहीं रही है.
उत्तर- यह गलत है. स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में दो ऐसी घटनाएं हैं जिनसे यह साबित होता है कि संघ ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. लेकिन तथ्यों के चयन में पक्षपात के कारण कुछ घटनाओं का अधिक प्रचार प्रसार हुआ तो आंदोलन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं छूट गयीं. सविनय अवज्ञा आंदोलन में डाॅ हेडगेवार के नेतृत्व में दस हजार लोग शामिल हुए जिसमें आठ साै से अधिक स्वयं सेवकों को एक साल का सश्रम कारावास की सजा मिली थी.
सवाल : देश गांधी और नेहरू की नीतियों से चल रहा है, अब उनकी जगह संघ परिवार अपने एजेंडे लागू कर रहा है. दीनदयाल उपाध्याय के नाम से कई योजनाएं शुरू हुईंं.
उत्तर : पहली बात तो इतिहास को जनता का इतिहास होना चाहिए. आजादी की लड़ाई में बड़े पैमाने पर लोगों ने शहादत दी थी. जिसे इतिहासकारों ने इतिहास को कुछ लोगों के महिमामंडन तक सीमित रख कर दिया. उदाहरणस्वरूप 1857 की लड़ाई में पासी समाज की महिला उदा देवी ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये और शहीद हुईं. दूसरी ओर उत्तर-पूर्व की रानी गैंडेल्यू युवा अवस्था में अंग्रेजों को चुनौती देते हुए पूरी उम्र जेल में बिताई. दक्षिण में रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों को चुनौती दी थी, लेकिन इतिहासकाराें ने इनकी तुलना में कमला नेहरू का अधिक उल्लेख किया.
दीनदयाल उपाध्याय की विविधता स्वतंत्रता संग्राम में डीकोलोनाइजेशन के रूप में देखा जाता है. वे जौनपुर में 1963 में चुनाव जानबूझ कर हार गये, क्योंकि उन्होंने जातीय समीकरण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. उनके पॉलिटिकल डायरी का प्राक्कलन यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने लिखी थी. इसलिए दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी से समाज को वंचित रखना ऐसा ही है जैसे बगीचे में फूलों की विविधता को समाप्त करना.
सवाल : शैक्षणिक संस्थानों में आरएसएस अपना दबदबा बढ़ा रहा है.उत्तर- नेतृत्व का आधार योग्यता हो न कि विचारधारा. यह सवाल तो उन वामपंथियों से है जिन्होंंने अपने असहमति दिखने वाले को संस्थाओं से लेकर अवार्ड तक में वंचित रखा. सरकार जिन लोगों की नियुक्तियां कर रही है उनका किसी विचारधारा से संबंध नहीं रहा है.
सवाल : आरएसएस आरक्षण को खत्म करना चाहता है?
उत्तर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशिष्टता सामाजिक समरसता है. आरक्षण दलितों के प्रति कोई रहम नहीं होकर सैद्धांतिक रूप में विकास का रास्ता है. संघ विमर्श इस बात का कर रहा है कि आरक्षण का लाभ उन वर्गों तक अधिक से अधिक क्यों नही पहुंच पाया. जिन्हें इनकी ज्यादा जरूरत है.
बिहार में नीतीश कुमार के सामाजिक आंदोलनों और जदयू के साथ भाजपा के रिश्तों को संघ किस प्रकार देखता है.उत्तर – बिहार में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन एक प्रादेशिक आवश्यकता की तरह है. नीतीश कुमार का विकास के प्रति समर्पण और लालसा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वैचारिक भिन्नता का तात्पर्य यह नहीं कि अच्छे कार्यों की सराहना नहीं की जाये. 60 के दशक में दीनदयाल उपाध्याय अौर डाॅ लोहिया एक-दूसरे के नजदीक आये और देश में बड़ा परिवर्तन लाया. 70 के दशक में सामाजवादी धारा और जनसंघ ने दूसरी बार महापरिवर्तन को अंजाम दिया था. राष्ट्र के पुनर्निर्माण के पक्ष में तत्कालिक और स्वार्थजनित मतभेदों को किनारे कर देना चाहिए.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel