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पुरुष शौचालयों में जाने को मजबूर महिला काउंसेलर
थाने में काम कर रही महिला काउंसेलरों के लिए नहीं है अलग से शौचालय पटना : सरकार महिला सशक्तीकरण के बड़े-बड़े दावे पेश कर रही है. पर उन दावों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. क्योंकि जिन महिलाओं के सशक्तीकरण की बात सरकार कर रही है, उन महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं है. […]
थाने में काम कर रही महिला काउंसेलरों के लिए नहीं है अलग से शौचालय
पटना : सरकार महिला सशक्तीकरण के बड़े-बड़े दावे पेश कर रही है. पर उन दावों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. क्योंकि जिन महिलाओं के सशक्तीकरण की बात सरकार कर रही है, उन महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं है. जी हां, पटना शहर के 23 थानों में महिला कोषांग में कार्यरत महिला काउंसेलरों के लिए अलग से शौचालय नहीं हैं.
वर्ष 2013 में महिला विकास निगम की ओर से एक्सटर्नल सपोर्ट योजना के तहत थानों में महिलाओं की पहुंच आसान बनाने के लिए अलग से थानों में महिला कोषांग सेल की शुरुआत की गयी. थानों में आनेवाले पारिवारिक विवादों का निबटारा महिला काउंसेलर काउंसेलिंग कर निबटाती हैं.
महिलाओं के लिए शौचालय नहीं होने से उन्हें पुरुषों के लिए बने शौचालय में जाना पड़ता है. उन शौचालयों की स्थिति भी ऐसी है कि आधे के दरवाजे टूटे हैं, तो आधे में कुंडी काम नहीं कर रही है. ऐसे में उन शौचालयों में जाने के लिए भी किसी महिला पहरेदार को ढूंढ़ना पड़ता है, जो उनकी निगरानी में बाहर खड़ी हो सकें.
कम पानी पीने से बीमार पड़ीं, हो रही यूरिन संबंधी समस्या
शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को बीमारियों का शिकार भी होना पड़ रहा है. कुछ महिला काउंसेलरों ने शौचालय नहीं होने के कारण प्रेग्नेंसी के दौरान कम पानी पिया. इससे उन्हें यूरिन संबंधी इनफेक्शन का सामना करना पड़ा. उन्हें अस्पताल में एडमिट होना पड़ा. कंकड़बाग थाने की बात करें, तो काउंसेलर के बैठने तक की जगह नहीं है. करकट के शेड के नीचे बने छोटे से कमरे में उन्हें आठ से नौ घंटे बैठ कर काम करना होता है. गरमी की तपिश से काउंसेलर का गला भी सूखता रहता है, पर शौचालय न जाना पड़े इस डर से कम पानी पीकर ही काम चला रही हैं.
ठीक नहीं काउंसेलर सेल की स्थिति : महिला विकास निगम की ओर से प्रत्येक थाने में काउंसेलरों के लिए 50 हजार का फंड केवल कार्यालयों की सजावट पर खर्च किया गया है, लेेकिन काउंसेलर सेल की हकीकत कुछ और ही बयां करती है. महिलाओं के बैठने तक की उचित व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है. काउंसेलर की मानें, तो कुछ थानों में महिला शौचालय हैं भी, तो वे अकसर जाम होने के कारण बंद ही रहता है. महिला पदाधिकारी परेशानी झेलने के बावजूद आवाज उठाना नहीं चाहती हैं.
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