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31 मार्च से चार दिवसीय बड़गाव चैती छठ मेला

प्रशासनिक तैयारी नगण्य सूर्य तालाब के घाटो और परिक्रमा पथों की सफाई नहीं मेले की नहीं हो रही है प्रशासनिक तैयारी नालंदा : चार दिवसीय चैती छठ मेला 31 मार्च से सूर्यपीठ बड़ागांव में शुरू होगा. यह मेला 3 अप्रैल तक चलेगा. मेले में सूबे के कई जिलों के हजारों सूर्य उपासक एवं छठव्रती बडी […]

प्रशासनिक तैयारी नगण्य

सूर्य तालाब के घाटो और परिक्रमा पथों की सफाई नहीं
मेले की नहीं हो रही है प्रशासनिक तैयारी
नालंदा : चार दिवसीय चैती छठ मेला 31 मार्च से सूर्यपीठ बड़ागांव में शुरू होगा. यह मेला 3 अप्रैल तक चलेगा. मेले में सूबे के कई जिलों के हजारों सूर्य उपासक एवं छठव्रती बडी संख्या में आते हैं और भगवान भास्कर की पूजा- अर्चना के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य दान करते हैं. 31 मार्च को चैती छठ का पहला दिन है. इसी तिथि को नहाए खाए के व्रत से चैती छठ शुरू होगा.
दूसरे दिन यानी 1 अप्रैल को लोहंडा का व्रत है. इस दिन छठ व्रती मिट्टी के नये चूल्हे पर मिट्टी के नए बर्तन में अथवा पीतल के बर्तन में लोहंडा का प्रसाद बनायेगे. शाम में छठ व्रतियों के द्वारा खरना करने के बाद परिवार के अन्य सदस्य एवं हित कुटुंब व मित्र खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे. इस व्रत के तीसरे दिन यानि 2 अप्रैल को पहला अर्घ्य दिया जायेगा.
इस दिन डूबते हुए भगवान भास्कर को छठ व्रती प्रदान करेंगे. इसके पहले पूरे विधि विधान से छठ व्रती स्नान कर छठ व्रत का प्रसाद बनायेगी. इन प्रसादोऔर फलों को सूप में सजाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देनेगे. यानि सूर्य षष्टि को डूबते हुए भगवान सूर्य को और पारण के दिन उगते हुए भगवान भास्कर को छठवर्ती श्रद्धापूर्वक अर्घ्यदान करेंगे. बड़गांव ऐतिहासिक सूर्यपीठ है. यहां हर साल चैत्र और कार्तिक मास में छठ मेले का आयोजन किया आदिकाल से किया जाता है. इस मेले में राज्य के कई जिलों के अलावे पड़ोसी राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल से भी बड़ी संख्या में लोग छठ व्रत करने के लिए यहां आते हैं. सूर्यधाम बड़गांव समेत आसपास का इलाका छठ गीतों से गूंजने लगे हैं. बड़गांव छठ मेला शुरू होने में केवल 7 दिन शेष रह गए हैं. इसके बावजूद यहां सफाई की कोई व्यवस्था अब तक नहीं शुरु कराई गई है. सूर्य तालाब के घाटों , परिक्रमा पथो, के अलावे मेला क्षेत्र में यत्र – तत्र सर्वत्र गंदगियों का अंबार लगा है. यहां की नालियां गंदगी से बजबजा रही है. सूर्य तालाब की भी सफाई की आवश्यकता है. सूर्य तालाब के आसपास और मेला क्षेत्र में लगे हैंडपंप को चालू करने की व्यवस्था अब तक आरंभ नहीं की जा सकी है. इसी प्रकार सूर्य मंदिर परिसर, मंदिर के प्रवेश और निकास द्वार की भी सफाई जरूरी है.

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