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आफत. डीएम व एसपी ने लिया जायजा, लोकायन नदी का जल स्तर गिरा

करायपरसुराय (नालंदा) : पहले लोकायन नदी फिर भुतही नदी के इलाके में बाढ़ का कहर बरपाया. दोनों नदी के भयानक रूप से प्रखंड के पश्चिमी इलाके के कई गांव बाढ़ से घिर चुका था. हालांकि बीते सोमवार की शाम से दोनों नदियों के जल स्तर में आयी गिरावट के बाद गांवों में धीरे-धीरे बाढ़ का […]

करायपरसुराय (नालंदा) : पहले लोकायन नदी फिर भुतही नदी के इलाके में बाढ़ का कहर बरपाया. दोनों नदी के भयानक रूप से प्रखंड के पश्चिमी इलाके के कई गांव बाढ़ से घिर चुका था. हालांकि बीते सोमवार की शाम से दोनों नदियों के जल स्तर में आयी गिरावट के बाद गांवों में धीरे-धीरे बाढ़ का पानी निकलने लगा है. अब जाकर बाढ़ प्रभावित इलाके की स्थिति सामान्य होने लगी.

मंगलवार को नालंदा डीएम डॉ त्याग राजन एवं एसपी सुधीर कुमार पोरिका ने करायपरसुराय पहुंच कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया तथा बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत पहुंचाने का स्थानीय पदाधिकारी को निर्देश दिया. बताया जाता है कि बीते दो दिन पूर्व पहले लोकायन नदी में दोबारा आये उफान से हिलसा की सड़कों व करायपरसुराय के कई गांव के खंधा में पानी भर दिया. ग्रामीणों में डर का माहौल बना हुआ था की कहीं फिर न तटबंध टूट जाये, लेकिन ऐसा तो नहीं हुआ पर दूसरी ओर पटना जिले से गुजरने वाली भुतही नदी तटबंध को तोड़ते हुए करायपरसुराय इलाके के कई गांव को चपेट में ले लिया.

जहां खासकर प्रखंड के झरहापर, मेढ़मां बिगहा तथा बेरमा गांव में तीन से चार फिट तक पानी गलियों व घरों में घुस गया था. गांव में बाढ़ का पानी घुसते ही लोग ऊंचे स्थान तो कोई सड़कों पर अपना बसेरा बनाया. इस दौरान बाढ़ पीड़ितों ने राहत व मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा व सड़क जाम भी किया था, लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को समझा बुझाकर शांत कराया एवं बाढ़ पीड़ितों के लिए नाव की व्यवस्था करायी गयी. जहां नाव के सहारे लोग सड़कों व सुरक्षित स्थान पर निकले, हालांकि सोमवार की देर शाम से दोनों नदियों का जल स्तर में लगातार धीरे-धीरे कमी आने लगा. जिसे गांवों से बाढ़ का पानी भी खिसकने लगा है. कुछ गांव अभी भी ज्यादा प्रभावित हैं, जबकि कुछ गांव की स्थिति सुधर गयी है. मंगलवार को करायपरसुराय के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का डीएम व एसपी ने दौरा कर बाढ़ का जायजा व बाढ़ से प्रभावित गांव के पीड़ितों से रूबरू होकर उनकी परेशानी से अवगत हुए. ग्रामीणों की समस्या सुनने के बाद डीएम ने राहत शिविर में भोजन, मेडिकल टीम तथा पशुओं के लिए चारा अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश स्थानीय प्रशासन को दिया. उन्होंने हिदायत भी दिया कि बाढ़ की समस्या उत्पन्न होने पर सुस्ती व लापरवाही न बरतें तो अच्छा होगा. वहीं बाढ़ राहत शिविर में जाकर भी बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाये जा रहे भोजन व व्यवस्था को बारीकी से मुआयना किया तथा स्थानीय पदाधिकारी को कई प्रकार के निर्देश भी दिये.

शिविर में जाने से इनकार किया बाढ़ पीड़ित: प्रखंड के मेढ़मां बिगहा गांव के बाढ़ पीड़ित ग्रामीण शिविर में जाने से इनकार करते हुए डीएम व एसपी के समक्ष पीड़ितों ने कहा कि बाढ़ राहत शिविर काफी दूर होने के कारण लोग नहीं जाना चाहत हैं. उन्होंने नजदीक में मेढ़मां गांव के पास राहत शिविर बनाने की मांग की तो बाढ़ प्रभावित बेरमा गांव के पीड़ितों ने सूखा राशन की मांग की. डीएम ने बाढ़ पीड़ित की मांग को देखते हुए स्थानीय पदाधिकारी को पूरा करने का निर्देश दिया.
भोजन नहीं रास्ता बनवा दीजिए सर: करायपरसुराय प्रखंड के पश्चिमी इलाके के प्रति वर्ष बाढ़ के चपेट में आने वाला मेढ़मां बिगहा एवं झरहापर गांव में आज तक पक्का रास्ता नहीं बन पाया. लोग पगडंडी के सहारे आते जाते हैं. बाढ़ के समय में तो कई दिनों तक गांव में ही कैद रहना पड़ता है. बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे डीएम साहब को बाढ़ पीड़ितों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा हमें आप भोजन मत दीजिए सिर्फ आने जाने का रास्ता बनवा दीजिए सर. इस पर डीएम ने एसडीओ सृष्टि राज सिन्हा को पानी निकलने के बाद मनरेगा या किसी भी योजना के तहत बनवाने को कहा गया. क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के बाद बाढ़ पीड़ितों के लिए मध्य विद्यालय जलालपुर में प्रशासन द्वारा बाढ़ राहत शिविर बनाया गया. जिसमें झरहापर एवं बेरमा गांव के करीब तीन सौ बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन बनाया जा रहा है.
सर्वे करने के बाद बाढ़ ने नष्ट फसल का मिलेगा मुआवजा: प्रखंड में दूसरी बार आयी बाढ़ ने किसानों का सब कुछ छीन लिया है. पिछले साल की तुलना में इस बार इलाके में हजारों एकड़ में लगी धान की फसल नष्ट हुई. किसानों ने डीएम से मुआवजे की मांग की. डीएम आश्वासन दिया है.
बोले डीएम
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचे जिलाधिकारी डाॅ त्याग राजन ने कहा कि इलाके में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी. जिससे मेढ़मां बिगहा, बेरमा एवं झरहापर गांव के कुछ हिस्सा प्रभावित हुआ था. परंतु नदी में जल स्तर में गिरावट के बाद स्थिति सुधरने लगी है. गांव से पानी निकल गया है. बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविर में भोजन, मेडिकल के साथ ठहरने की व्यवस्था कर दी गयी है.

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