मुजफ्फरपुर . बागमती परियोजना के तहत वर्ष 2016 में भू-अर्जन और मुआवजा भुगतान करने के दौरान करीब आठ करोड़ रुपये का घोटाला की बात सामने आयी थी. इसमें 113 रैयतों पर फर्जी तरीके से भुगतान प्राप्त करने के आरोप में नीलामवाद दायर किया गया, जो मामला विचाराधीन है और अब तक राशि वसूल नहीं हो पायी है. इस मामले में रूपांकण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने डीएम को उक्त रैयतों और नीलामवाद मामले की पूरी रिपोर्ट भेजी है. अब ऐसे में संभावना है कि डीएम के अवलोकन के बाद नीलामवाद मामले में तेजी आयेगी और राशि वसूली के लिए उचित कार्रवाई की जायेगी. कार्यपालक अभियंता ने अपने भेजे रिपोर्ट में रैयतों के विरूद्ध नीलामवादा के संबंध में मौजावार व व्यक्तिवार सूची भेजी है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी नीलामवाद पदाधिकारी को भी उस समय के मामले में पूरी विस्तृत जानकारी के साथ रिपोर्ट दी गयी थी. यह मामला उजागर होने पर तत्कालीन विशेष भू अर्जन पदाधिकारी द्वारा सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. विभागीय जांच के दो साल बाद सात कर्मियों को मामले में बरखास्त किया गया. इसके बाद फर्जी भुगतान को लेकर नीलामवाद दायर हुआ और राशि वसूलने की कवायद शुरू की गयी.
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