Bihar News: मुजफ्फरपुर जिले की आधी से अधिक महिलाएं खून की कमी यानी एनीमिया से पीड़ित हैं. सबसे अधिक खून की कमी 15 से 19 वर्ष की लड़कियों में है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार इस आयु वर्ग की 66.1 फीसदी लड़कियां खून की कमी झेल रही हैं. विडंबना यह है कि स्वास्थ्य योजनाओं पर लाखों खर्च के बावजूद भी पिछले पांच वर्षां में एनीमिया की संख्या में कमी आने के बजाय बढ़ रही है.
जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिये पर्याप्त पोषण जरुरी
आंकड़ों पर गौर करें तो स्कूल जाने वाली लड़कियां पर्याप्त पोषण नहीं मिलने और जागरुकता के अभाव में इस बीमारी से पीड़ित हो रही हैं, जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं भी झेलनी पड़ रही है. गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों को देखें तो 15 से 49 आयु वर्ग की 61.7 फीसदी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान खून की कमी से पीड़ित रहती हैं. स्वास्थ्य जांच में अक्सर खून की कमी की बात सामने आती है और जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिये पर्याप्त पोषण और आयरन की गोली खाने की सलाह दी जाती है.
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में नहीं होती जांच
मुजफ्फरपुर जिले में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर एनीमिया की जांच नहीं हो रही है. जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार जिले के 561 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में से केवल सात केंद्रों पर ही गर्भवती महिलाओं की एनीमिया जांच हो रही थी, जबकि शेष 554 केंद्रों पर यह सेवा बंद थी. इसके अलावा कई हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में जांच सुविधाओं और कर्मियों की कमी के कारण चिकित्सा सेवाएं बाधित रही. एनीमिया की जांच नहीं कराने वोल हेल्थ एड वेलनेस सेंटर को रेड जोन में रखा गया है. सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार ने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर एनीमिया जांच अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करे. इसके अलावा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत भी चिकित्सकों को स्कूलों में जाकर बच्चों में एनीमिया की जांच करने का निर्देश दिया गया है.
पिछले पांच वर्षों में एनीमिया की स्थिति
आयु वर्ग – एनीमिया से पीड़ित
- 6 से 59 महीने का बच्चा – 64.6
- 15 से 49 वर्ष की महिलाएं – 58.7
- गर्भवती महिला 15-49 वर्ष – 61.7
- 15 से 19 वर्ष की लड़कियां – 66.1
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