मुजफ्फरपुर: छह साल पहले उत्तराखंड के रुड़की से जब जुनैद लापता हुआ था, तब उसकी उम्र 22 साल थी. बीते रविवार को जब उसने अपने परिजनों को लंबे अरसे के बाद देखा तो वह 28 साल का हो चुका था. इन छह सालों के दौरान जुनैद कहां और कैसे रहा, इसके बारे में तो ज्यादा पता नहीं, लेकिन डेढ़ माह पहले वह शहर के तिलक मैदान रोड स्थित बिजली ऑफिस के पास पहुंचा था. वह पर सड़क पर गिरी चीजों को चुन कर खाता था. उसके मुंह से लॉर टपकती रहती थी. ठंड से वह कांप रहा था. यह हालत देख नवाज पढ़ रही शगुफ्ता यासमीन को जुनैद की हालत पर दया आयी. उन्होंने अपने परिजनों से इसके बारे में चर्चा की थी. बेटे मासूम रजा को बताया, कैसे सड़क के किनारे एक युवक कांप रहा है. इसके बाद मासूम व उसके पिता मो नसीम उस स्थान पर पहुंचे थे, जहां जुनैद पड़ा था.
बोल नहीं पाता था. जुनैद को देख कर मो नसीम ने पूछा, क्या तुमको ठंड लग रही है. इस पर जुनैद ने केवल हां में अपना सिर हिलाया था. इसके बाद पूछा, क्या तुम भूखे हो. इस पर भी जुनैद का सिर हां में हिला था, जब मो नसीम ने अपने बेटे मासूम के सहयोग से उसे खाना दिया तो जुनैद सहसा पास में रखे पानी से हाथ धोने के लिए उठा. इस पर मो मासूम समझ गये, हो न हो जुनैद किसी संस्कारी परिवार का है, जो अपने परिजनों से बिछड़ गया है. इसके बाद उसे पहनने के लिए स्वेटर व ओढ़ने-बिछाने के लिए कंबल आदि दिया गया.
रैन बसेरा में रखा . मासूम ने जुनैद को पहले निगम के रैन बसेरा में रखा. मोटर पार्ट्स की दुकान चलानेवाले मासूम ने बताया, वह दूर से महकता था. इस वजह से एक दिन हमने अपने यहां काम करनेवाले साथियों की मदद से जुनैद को नहलवाया. इसके बाद मासूम के पिता ने जुनैद के इलाज के लिए ब्रह्मपुरा के डॉ काजमी से बात की. डॉक्टर साहब उसके इलाज के लिए तैयार हो गये. उन्होंने जुनैद को दवाएं देनी शुरू की. जल्द ही उस पर असर होने लगा.
बोलने लगा जुनैद. दवा शुरू होने के लगभग एक सप्ताह के बाद जुनैद बोलने लगा. वह अपना नाम बताने लगा. इसके अलावा वह लगातार अनवर अब्बू का नाम लेता था. एक दिन मासूम बैडमिंटन खेल रहा था. पास में जुनैद खड़ा था. उसने पूछा, क्या तुम बैडमिंटन खेलोगे. इस पर जुनैद ने कहा, हां. उसने बताया, पहले वह रुड़की में ऑरिफ के साथ इमली रोड में नूर मस्जिद के पास बैडमिंटन खेलता था. इस पर मासूम को पता चला, जुनैद रुड़की में नूर मस्जिद के पास का रहनेवाला है.
प्रोफेसर ने की मदद. इसी दौरान मासूम के पिता मो नसीम को आइआइटी, रुकड़ी में पढ़ानेवाले अपने दोस्त के बारे में पता चला. उन्होंने उससे जुनैद की पूरी कहानी सुनायी और उसके परिजनों को खोजने की अपील की. जुनैद का फोटो आइआइटी के प्रोफेसर के मेल पर भेजा. इसके बाद प्रोफेसर ने जुनैद के परिजनों की खोज की. इसी दौरान वह आरिफ की दुकान पर पहुंचे. वहां उन्होंने बात की, तब जाकर जुनैद के परिजनों से मुलाकात हुई, जब प्रोफेसर को पूरी तफसील हो गयी तो उन्होंने उन लोगों को जुनैद का फोटो दिखाया. फोटो देखते ही परिजनों ने अपने लाल को पहचान लिया.
बेटे को लेने पहुंची मां. बेटे जुनैद को लेने के लिए मां नसीमा खातून खुद मुजफ्फरपुर आयी. उनके साथ जुनैद का भाई मो मुस्तकीम व दोस्त अब्दुल वाजिद भी था. ये लोग जैसे ही मासूम के घर पहुंचे. जुनैद ने अपनी मां को देख लिया. मां को देखते ही वह अम्मा कह कर उसकी ओर दौड़ पड़ा. मां के बाद जुनैद ने अपने भाई मुस्तकीम को भी पहचान लिया. इसके बाद वह लोग आपस में बात करने लगे.
अनवर है चाचा. जिस अनवर अब्बू की बात जुनैद लगातार करता था. दरअसल, वह उसका चाचा है, जबकि जुनैद के पिता का नाम मो शकील है. यह जानकारी जुनैद के भाई मुस्तकीम ने मासूम को दी. उन लोगों ने जुनैद की बरामदगी को लेकर अल्ला का शुक्रिया अदा किया. जुनैद की अम्मी ने मासूम से कहा, हम आप लोगों का एहसान पूरी जिंदगी भर नहीं भूल सकेंगे.
लौट गये अपने घर. सोमवार को सुबह आठ बजे जुनैद को लेकर उसकी मां व भाई वापस रुकड़ी के लिए लौट गये. इस दौरान उन्होंने मासूम व उसके परिजनों को धन्यवाद दिया. साथ ही अल्ला का शुक्रिया अदा किया. छह साल बाद उनका लाडला उन्हें फिर से मिल गया.
मंद बुद्धि जुनैद डेढ़ माह पहले पहुंचा था तिलक मैदान
सड़क पर पड़े जुनैद को दिया
था मासूम ने सहारा
ब्रह्नापुरा के डॉ काजमी ने किया मुफ्त में इलाज
इलाज के असर से जुनैद लगा लोगों को पहचानने
पुलिस नहीं खोज पायी उत्तराखंड में जुनैद का घर
आइआइटी, रुड़की के प्रोफेसर ने खोजा जुनैद के परिजनों को
नहीं खोज पायी पुलिस
अनवर व आरिफ के बारे में जानकारी मिलने के बाद मो मासूम ने रुड़की पुलिस से संपर्क साधा और उससे जुनैद के परिजनों को खोजने की गुहार लगायी. रुकड़ी पुलिस उस मोहल्ले में गयी. अनवर व आरिफ के बारे में जानकारी की, लेकिन जुनैद के परिजनों को नहीं खोज सकी. पुलिस ने मो मासूम को बताया, जुनैद का घर रुड़की में नहीं मिल रहा है. ये बीते 31 दिसंबर की बात है. इस पर मासूम को निराशा हुई.