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हाजीपुर से फर्जी स्वास्थ्य सचिव समेत दो गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर : अहियापुर के जनसेवा अस्पताल जांच मामले में बुधवार को फरार फर्जी स्वास्थ्य सचिव डॉ एलबी सिंह व उसके एक सहयोगी मुकेश कुमार को हाजीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. देर रात अहियापुर थाना के दारोगा अशोक दास पूछताछ के लिए फर्जी स्वास्थ्य सचिव को थाना ले आये. फिलहाल पुलिस दोनों को हिरासत में […]

मुजफ्फरपुर : अहियापुर के जनसेवा अस्पताल जांच मामले में बुधवार को फरार फर्जी स्वास्थ्य सचिव डॉ एलबी सिंह व उसके एक सहयोगी मुकेश कुमार को हाजीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. देर रात अहियापुर थाना के दारोगा अशोक दास पूछताछ के लिए फर्जी स्वास्थ्य सचिव को थाना ले आये. फिलहाल पुलिस दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ में जुटी है.

जानकारी हो कि मंगलवार देर रात डॉ एलबी सिंह जीरो माइल चौक स्थित जनसेवा अस्पताल के लाइसेंस की जांच करने पहुंचे थे. दवाखाना व अस्पताल के निबंधन की जांच के नाम पर पैसा ऐंठने की कोशिश कर रहे थे. जब बात नहीं बनी तो फर्जी स्वास्थ्य सचिव अपने गुर्गों के साथ पैदल ही निकलने लगा. इसी दौरान अस्पताल के कर्मचारियों ने कारड्राइवर सौरभ को पकड़ लिया. इसके बाद मामले की जानकारी अहियापुर थाना को दी गयी. मौके पर पहुंची थाना पुलिस ने कार व उसके चालक सौरभ को हिरासत में ले लिया था.

* तीन पर नामजद प्राथमिकी : जनसेवा अस्पताल के प्रबंधक विनोद कुमार ने बुधवार को फर्जी स्वास्थ्य सचिव मामले में अहियापुर थाना में हाजीपुर निवासी डॉ एलबी सिंह सहित तीन पर नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें मुकेश कुमार व शशि कुमार का भी नाम शामिल है.

* चालक के भाई के सहयोग से पकड़ा गया डॉक्टर

हिरासत में लिये गये कार चालक ने डॉ एलबी सिंह के बार में अहियापुर पुलिस को विस्तार से जानकारी दी थी. इसके बाद अहियापुर थानाध्यक्ष ने दारोगा अशोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस कर्मियों को डॉक्टर के गिरफ्तारी के लिए भेजा. जहां से दारोगा अशोक ने डॉ एलबी सिंह व उसके सहयोगी मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया. देर रात उन्हें वैशाली सदर थाना से अहियापुर थाना लाया गया. इससे पूर्व सौरभ के बताने पर उसके बड़े भाई व नानी जानकी देवी के सहयोग से एलबी सिंह व मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया जा सका.

* विभाग को मतलब नहीं

फर्जी स्वास्थ्य सचिव के मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई बुधवार को कोई पहल नहीं की गयी. सिविल सर्जन डॉ ज्ञान भूषण ने कहा कि मामला फ्रॉड का है. इससे विभाग का कोई लेना देना नहीं है. फ्रॉड करने वाला व्यक्ति किसी भी विभाग का अधिकारी बन कर घटना को अंजाम दे सकता है. इस मामले में पुलिस अपने स्तर से कार्य करेगी.

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