मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले मुजफ्फरपुर में वैसे तो कई समस्याएं है, लेकिन शहर की सबसे बड़ी समस्या यहां लगने वाला जाम है. इससे निजात दिलाने के लिए प्रशासन की ओर से सात साल से कवायद चल रही है. मूल कारण ट्रैफिक व्यवस्था की बेपटरी होना है. शहर की आबादी […]
मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले मुजफ्फरपुर में वैसे तो कई समस्याएं है, लेकिन शहर की सबसे बड़ी समस्या यहां लगने वाला जाम है. इससे निजात दिलाने के लिए प्रशासन की ओर से सात साल से कवायद चल रही है. मूल कारण ट्रैफिक व्यवस्था की बेपटरी होना है. शहर की आबादी करीब पांच लाख है.
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र से भी हजारों लोग प्रतिदिन शहर में आते हैं. इसके बाद भी ट्रैफिक कंट्रोल के लिए मात्र 88 जवानों को लगाया गया है. इसमें 18 बिहार पुलिस के जवान हैं. 70 होमगार्ड के जवान शामिल हैं.
पांच लाइफ लाइन पर आठ की जगह दो जवानों की ड्यूटी : शहर के पांच प्रमुख लाइफ लाइन सरैयागंज टावर, अघोरिया बाजार, गोबरसही, जूरन छपरा व जीरो माइल पर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए दो शिफ्ट में कम से आठ जवानों की ड्यूटी रहती थी, लेकिन अब दो की ड्यूटी लगायी जाती है.
जाम से परेशान उत्तर बिहार की सांस्कृतिक राजधानी, ट्रैफिक पुलिस के पास ट्रेंड जवानों की संख्या 17
इन जगहों पर प्रतिदिन
लगता है जाम
सरैयागंज टावर, सिकंदरपुर मोड़ व नाका, कंपनीबाग, सदर अस्पताल मोड़, जूरन छपरा, माड़ीपुर, इमलीचट्टी, मोतीझील, बड़ी कल्याणी, अघोरिया बाजार, जीरो माईल, गोबरसही, भगवानपुर चौक व लक्ष्मी चौक.
निबंधित वाहनों की संख्या
बाइक 3 लाख
निजी कार 20,794
कॉमर्शियल कार व पिकअप 21,000
पिकअप मध्यम 12,000
छोटे बड़े बस 4080
ट्रैक्टर कृषि व कॉमर्शियल 12,000
ट्रक 13,516