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”जेलबर्ड” की निगरानी में फेल है जिले की पुलिस

मुजफ्फरपुर : संगीन वारदातों पर लगाम लगाने में असफल पुलिस अक्सर बल की कमी, ज्यादा आबादी का हवाला देकर पल्ला झाड़ती रहती है. जबकि हकीकत यह है कि अधिकतर वारदात को अपराध जगत के पुराने खिलाड़ी ‘जेलबर्ड’ ही अंजाम देते हैं. यदि पुलिस उनपर ही शिकंजा कस ले, तो अपराध की घटनाओं में 80 फीसदी […]

मुजफ्फरपुर : संगीन वारदातों पर लगाम लगाने में असफल पुलिस अक्सर बल की कमी, ज्यादा आबादी का हवाला देकर पल्ला झाड़ती रहती है. जबकि हकीकत यह है कि अधिकतर वारदात को अपराध जगत के पुराने खिलाड़ी ‘जेलबर्ड’ ही अंजाम देते हैं. यदि पुलिस उनपर ही शिकंजा कस ले, तो अपराध की घटनाओं में 80 फीसदी तक की कमी स्वत: आ जायेगी. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.
जेल से बाहर आने के बाद जेलबर्ड की निगरानी का प्रभावी सिस्टम अब तक पुलिस नहीं बना सकी है. नतीजतन ऐसे अपराधी जेल से
छूटने के बाद गुंडे-बदमाशों के साथ मिल घटनाओं को अंजाम देते हैं. वारदात के बाद पुलिस इन्हें पकड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाती है. हजारों के इनाम घोषित करती है. लेकिन उनकी निगरानी, जो पुलिस का रूटीन वर्क है, वह नहीं कर पाती. मालूम हो कि जिले में 40 थाने हैं. पुलिस वालों की संख्या 3000 है. बावजूद 500 के करीब गुंडे-बदमाश पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं.
आदतन अपराधियों के जमानत रद्द करने के निर्देश भी है बेअसर
अदालत से जमानत पर रिहा होने के बाद अपराधी फिर से वारदात को अंजाम देते हैं, तो उनकी जमानत तत्काल रद्द करने का निर्देश वरीय पुलिस अधिकारी ने दिया था. ऐसे व्यक्ति पर पुलिस में कोई रिपोर्ट करता है तो उसे तुरंत दर्ज करने को कहा गया था. लेकिन गुंडे-बदमाशों के खिलाफ थाने में शिकायत करने पर पुलिस तरह-तरह के बहाने बनाकर टाल देती है. अगर पुलिस कुछ एक्शन लेना भी चाहती है तो सफेदपोश उसपर दबाव डालते हैं. हाल के दिनों में नगर पुलिस ने सात आदतन अपराधियों पर निगरानी का डोजियर एसएसपी के माध्यम से डीएम को भेजा है लेकिन अन्य थाने के पुलिसवाले अभी भी कान में तेल डालकर सोये हुए है.
इस तरह हो निगरानी
जेल से बाहर आनेवाले बदमाश पर गोपनीय तरीके से रखी जाये नजर
बदमाश के पीछे मुखबिर लगा, उसकी गतिविधियों की निगरानी करे
उसकी रोजी- रोटी कैसे चल रही है, उसपर विशेष नजर रखे
घर से बाहर व अंदर किन-किन लोगों से मिलता है, कहां जाता है, उसके आने-जाने पर ध्यान रखे.
संभव हो, तो हर 15 दिन पर उसे थाने बुलाकर पूछताछ की जाये.
थाने में उसकी फोटो लगी हो
आदतन या खूंखार बदमाशों की तसवीर सार्वजनिक स्थान पर भी लगे
मुख्य धारा में लाने के लिए इनकी समय- समय पर काउंसलिंग की जाये.
जेलबर्ड की कुछ प्रमुख घटनाएं
केस नंबर 1: जेल से रिहा हुए शातिर चिरंजीवी ठाकुर के शूटर जैकी ने बालूघाट निवासी बिस्कुट कारोबारी ओपी अग्रवाल से लूटपाट के दौरान गोली मार हत्या कर दी थी.
केस नंबर 2: पूर्व मंत्री रामाश्रय सहनी के बेटे मुकेश सहनी ने जेल से छूटने के बाद समस्तीपुर में बालूघाट के माइनिंग इंजीनियर से की लूटपाट
केस नंबर 3: मयंक गिरोह के आधा दर्जन शातिर जेल से छूटने के बाद लगातार शहर में छिनतई और लूट की घटना को दे रहे अंजाम
केस नंबर 4: अपराधी गुड्डू प्रधान ने पैसे के लेन-देन में पिकअप चालक को गोली मार दी थी. फल विक्रेता पर की फायरिंग
केस नंबर 5: हथौड़ी के शराब माफिया राजा साह जेल से निकलने के बाद कर रहा जाली नोट का कारोबार
जेलबर्ड की निगरानी के लिए सभी थानाध्यक्षों को यह निर्देश दिया गया है कि जमानत पर छूटे अपने थाना क्षेत्र के दस बड़े अपराधियों की चिह्नित करें. साथ ही उनकी लिस्टिंग कर सप्ताह में एक दिन थाने पर उसकी हाजिरी लगवायें. उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने मुखबिरों को पीछे लगाये.
अनिल कुमार, डीआईजी तिरहुत प्रक्षेत्र

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