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वाटर हार्वेस्टिंग की योजना का नहीं हो रहा सही क्रियान्वयन, गिर रहा भू-जलस्तर

मुंगेर जिला गंगा के तट पर बसा हुआ है. बावजूद यहां पानी की समस्या बनी रहती है.

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शहर से लेकर गांव तक नीचे गिर रहा वाटर लेवल, अभी मई व जून की गर्मी बाकी

जल-जीवन-हरियाली में दूसरे से पांचवें स्थान पर पहुंचा मुंगेर जिला

मुंगेर. मुंगेर जिला गंगा के तट पर बसा हुआ है. बावजूद यहां पानी की समस्या बनी रहती है. जबकि जिले में भू-जलस्तर को बढ़ाने और उसे बरकरार रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग की योजनाओं पर खूब खर्च हुआ. बावजूद गर्मी शुरू होते ही भू-जलस्तर नीचे की ओर जा रहा है. अभी अप्रैल महीने की शुरूआत ही हुई और जिले में भू-जलस्तर पाताल की ओर जाने लगा है. ऑवर ऑल जिले की बात करें से ढाई से तीन फीट तक जलस्तर नीचे जा चुका है. जबकि, पूरा अप्रैल के साथ ही मई और जून की गर्मी आनी अभी बाकी है.

वाटर हार्वेस्टिंग योजना को नहीं मिल सका मूर्त रूप

भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने तथा उसे बरकरार रखने के लिए सरकार जल-जीवन-हरियाली योजना पर काम कर रही है. जिसमें एक वाटर हार्वेस्टिंग योजना भी शामिल है. वाटर हार्वेस्टिंग या वर्षा जल संचयन का अर्थ है वर्षा जल को सतह के नीचे या भूजल में इकट्ठा करना. वर्षा जल को घर की छत या अन्य सतहों से इकट्ठा किया जाता है और फिर उसे टैंक या जलाशय में संग्रहित किया जाता है. वर्षा जल को भूमि में रिसने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे भूजल स्तर बढ़ता है. तालाब, कुआं और अन्य जलस्रोतों में वर्षा जल को जमा करना है. जबकि कुआं, पियाऊ, समरसेबल, चापानल के पास सोख्ता का निर्माण कर उसके माध्यम से उपयोग किये पानी को सीधे भूजल में इकट्ठा करना है. अगर आकड़ों पर गौर करें तो 160 सरकारी भवनों में ही यह काम पूर्ण हो सका है, जो नाकाफी है. इससे स्पष्ट होता है कि जिले में वाटर हार्वेस्टिंग की योजना को सही मायने में मूर्तरूप नहीं मिल सका है.

जल-जीवन-हरियाली में भी पिछड़ गया मुंगेर

जिले में भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने तथा उसे बरकरार रखने के लिए जिलों में जल-जीवन-हरियाली के तहत लगातार काम किया जा रहा है. लेकिन जब 31 मार्च 2025 को जिलों की रैंकिंग जारी हुई तो उसमें मुंगेर जिला दूसरे स्थान से फिसलकर पांचवें स्थान पर पहुंच गयी. अब तक 64 अतिक्रमित संरचनाओं में से 63 संरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त कराने का दावा किया गया है. जबकि चयनित 725 संरचनाओं में से मनरेगा, लघु जल संसाधन विभाग एवं नगर इकाई द्वारा कुल 880 जल संरचनाओं के जिर्णोद्धार का कार्य किया गया. जबकि पीएचईडी, पंचायती राज विभाग व नगर इकाई द्वारा 1484 कुआं में से 1024 संरचनाओं का ही जिणोद्धार कार्य हो सका है. जबकि 786 कुआं के किनारे ही सोख्ता का निर्माण हो सका. जबकि मनरेगा, वन विभाग, कृषि, पंचायती राज, लघु जल संसाधन विभाग द्वारा 916 चेक डैम तथा 908 खेत पोखरी का काम किया गया है. जबकि जिले में 1.50 लाख से अधिक पौधा लगाने का दावा किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है.

ऑवर ऑल दो फीट नीचे खिसका वाटर लेवल

मिली जानकारी के अनुसार 15 मार्च 2025 को जब वाटर लेवल की जांच की गयी तो जिले का ओवर ऑल एवरेज वाटर लेवल 23 फीट 5 इंच थी. जबकि अप्रैल 2025 की जांच में एवरेज 2 फीट कम हुई है. मुंगेर सदर के श्रीमतपुर पंचायत के ब्लॉक गेट पर 15 मार्च को जांच में 70.01 फीट पर जलस्तर था. लेकिन 2 अप्रैल को जारी रिपोर्ट के अनुसार 68 फीट पर पानी पहुंच गया था. यानी 2 फीट पानी नीचे खिसक चुका है. अमूमन मुंगेर सदर के शंकरपुर, मिर्जापुर बरदह, श्रीमतपुर, कटरिया, नौवगढ़ी दक्षिणी क्षेत्र में भी पानी 2 से 3 फीट नीचे गया है. मुंगेर शहरी क्षेत्र के संदलपुर, लल्लूपोखर, बस स्टैंड में जब वाटर लेवल की जांच की तो वहां भी जलस्तर 1 से 2 फीट नीचे खिसका है. विभाग की मानें तो सभी 9 प्रखंड में अभी मात्र 2 से 3 फीट ही भू-जलस्तर नीचे भागा है.

हर 15 दिनों पर वाटर लेवल की जांच जिले में चिह्नित स्थानों पर की जा रही है. ताकि यह पता चल सके के वाटर लेवल कितना नीचे गिर रहा है. वर्तमान समय में एक से दो फीट ही वाटर लेवल नीचे गया है. जिससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

अभिषेक रंजन, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी विभागB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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